भोपाल। कोरोना काल में जहां एक ओर अधिकांश निजी अस्पताल अन्य बीमारियों के मरीजों का इलाज करने से बच रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर जिन अस्पतालों में इलाज चल भी रहा है, वहां से मरीजों को लेकर लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं. राजधानी भोपाल के निजी अस्पताल की संवेदनहीनता का मामला सामने आया है. जहां मरीज की मौत के बाद सिद्धांता अस्पताल ने शव देने से ये कहते हुए इनकार कर दिया कि, 'पहले बिल जमा कीजिए, उसके बाद डेडे बॉडी ले जाइए'. दूसरे दिन सिक्योरिटी के नाम पर ब्लैंक चेक लेकर बॉडी परिजनों को दी गई.
मृतक के परिजनों ने बताया कि, मरीज को टाइफाइड हुआ था, जिसका इलाज कनोरिया में चल रहा था. तबीयत बिगड़ने के बाद उसकी आंते सिकुड़ गई थी, स्थिति गंभीर होती देख मरीज को निजी अस्पताल सिद्धांता रेड क्रॉस में भर्ती कराया गया. जहां डॉक्टर गौरव ने कहा कि, मरीज की स्थिति गंभीर है, उन्हें वेंटिलटर पर रखना होगा. पहले 2 से 3 दिन वेंटिलेटर पर रखा गया, उसके बाद वहां से हटा दिया गया, फिर दोबारा 6 दिनों के लिए वेंटिलेटर पर रखा गया. जिसके बाद रविवार को कहा गया कि, मरीज के बचने की कोई उम्मीद नहीं है, इसे घर ले जाइए.
अस्पताल प्रबंधन ने बॉडी देने से किया इनकार