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सहकारी संस्थाओं में राजनीतिक नियुक्तियों की खुली राह, MP-MLA बन सकेंगे अध्यक्ष-उपाध्यक्ष - Madhya Pradesh Cooperative Society Amendment Ordinance 2020

मध्य प्रदेश सहकारी सोसायटी संशोधन अध्यादेश 2020 को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अनुमति दे दी है. जिसके बाद मध्य प्रदेश की सहकारी संस्थाओं, जिला सहकारी बैंक सहित सभी जिला सहकारी संस्थाओं में राजनीतिक नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है.

Vallabh Bhavan
वल्लभ भवन

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Published : Jan 27, 2021, 10:50 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की सहकारी संस्थाओं, जिला सहकारी बैंक सहित सभी जिला सहकारी संस्थाओं में राजनीतिक नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है. अब इन संस्थाओं में निर्वाचित सांसद और विधायक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बन सकेंगे. इसके लिए मध्य प्रदेश सहकारी सोसायटी संशोधन अध्यादेश 2020 को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अनुमति दे दी है. इसके बाद यह तत्काल प्रभाव से मध्य प्रदेश में लागू हो गया है.

क्या होंगे प्रावधान ?

मध्य प्रदेश सहकारी सोसायटी संशोधन अध्यादेश के जरिए सरकारी संस्थाओं में विधायक और सांसद के अध्यक्ष- उपाध्यक्ष पद पर नियुक्ति के लिए संशोधन किया गया है. इस अध्यादेश के जरिए मूल अधिनियम की धारा 48 (क) में उप धारा 4 में संशोधन किया गया है. इसके तहत अब सांसद और विधायक भी अपेक्स बैंक, जिला सहकारी बैंक, प्राथमिक सहकारी समितियों, राज्य आवास संघ, लघु वनोपज संघ, दुग्ध संघ सहित अन्य सभी जिला और राज्य स्तरीय सहकारी संस्थाओं में अध्यक्ष उपाध्यक्ष चुने जा सकेंगे. सिर्फ नगरीय निकायों पंचायतों और मंडियों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को यह चुनाव लड़ने अध्यक्ष उपाध्यक्ष बनने की पात्रता नहीं होगी.

संस्थाओं में 25 फीसदी की लिमिट को खत्म किया

इस अध्यादेश के जरिए सहकारी संस्थाओं में शासन की अंश पूंजी की 25 फीसदी की लिमिट रखी गई थी, जिसे अब समाप्त कर दिया गया है. शासन समय-समय पर निर्देश जारी कर अपनी सुविधा के अनुसार अंश पूंजी रख सकेगा. अध्यादेश के जरिए यह भी बदलाव किया गया है कि जब किसी राज्य और जिला तथा प्राथमिक सहकारी समिति या संस्था में निर्वाचित संचालक मंडल नहीं होगा, तो वहां निजी या शासकीय व्यक्ति को प्रशासक बनाया जा सकेगा. हालांकि उन्हें सलाह देने के लिए एक सलाहकार मंडल भी होगा, जो प्रशासक को सलाह दे सकेगा.

सलाहकार मंडल में रजिस्ट्रार का एक प्रतिनिधि वित्त पोषक संस्थाओं का एक प्रतिनिधि और सोसाइटी के तीन सदस्य होंगे. गौरतलब है कि विधानसभा का सत्र ना होने की वजह से इसे अध्यादेश के जरिए लागू किया गया है.

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