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अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस पर होगी शासकीय छुट्टी: मुख्यमंत्री कमलनाथ - शासकीय अवकाश

मध्यप्रदेश शासन की शासकीय सेवाओं में भर्ती के लिए शीघ्र ही विशेष भर्ती अभियान चलाया जाएगा. अभियान के दौरान विभिन्न विभागों में विभिन्न स्तरों पर लगभग 60 हजार पदों पर भर्ती की जाएगी.

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Published : Mar 7, 2019, 5:55 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस पर शासकीय अवकाश घोषित करने की घोषणा की है. साथ ही सीएम कमलनाथ ने देश की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक गोंडी भाषा को जीवंत रखने और उसे बढ़ावा देने के लिए अनुसूचित जनजाति बहुल जिलों में गोंडी भाषा को प्राथमिक शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा है कि गोंडी भाषा बोलने वालों की संख्या में तेजी से हो रही कमी चिंता का विषय है इस भाषा को विलुप्त होने से बचाना जरूरी है जिसका प्रयास मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा किया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने कहा है कि मध्यप्रदेश में आदिवासी समुदाय की समस्याओं के निराकरण के लिए 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया जाएगा, इस दिन प्रदेश में शासकीय अवकाश भी घोषित किया जाएगा. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा दुनिया के विभिन्न देशों में रहने वाले आदिवासी समुदायों की समस्याओं के निराकरण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है. इसी तारतम्य में मध्यप्रदेश में यह दिन आदिवासी समुदाय की समस्याओं के निराकरण के लिए समर्पित रहेगा.


वहीं मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि मध्यप्रदेश शासन की शासकीय सेवाओं में भर्ती के लिए शीघ्र ही विशेष भर्ती अभियान चलाया जाएगा. अभियान के दौरान विभिन्न विभागों में विभिन्न स्तरों पर लगभग 60 हजार पद पर भर्ती की जाएगी, इसके अलावा अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लगभग 20 हजार रिक्त बैकलॉग पदों पर भर्ती की जाएगी. विशेष भर्ती अभियान के माध्यम से प्रदेश के युवाओं को शासकीय सेवाओं में शामिल होने का अब तक का सबसे बड़ा अवसर प्राप्त होगा.


वहीं मुख्यमंत्री ने तेंदूपत्ता संरक्षण के लिए निर्धारित प्रति मानक बोरा दर दो हजार रुपए से बढ़ाकर 2500 रुपए करने का निर्णय लिया है. जिससे प्रदेश के लगभग 35 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक लाभान्वित होंगे. उन्होंने कहा है कि प्रदेश में बड़ी मात्रा में तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य किया जाता है, यह कार्य विशेषकर अनुसूचित जनजाति के लोगों की आजीविका का मुख्य आधार है, इसलिए राज्य सरकार ने प्रति मानक बोरा संग्रहण दर में वृद्धि कर दी है, जिसका लाभ अनुसूचित जनजाति के लोगों को मिलेगा.

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