भोपाल। कालजयी रचनाओं से अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाली कवियत्री व महिला सत्याग्रही (Woman Satyagrahi) सुभद्रा कुमारी चौहान को गूगल ने डू़डल (Google Doodles) बनाकर श्रद्धांजलि दी है. सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) का जन्म भले ही तक के इलाहाबाद अब प्रयागराज के निहालपुर गांव में हुआ था, पर जबलपुर को ही उन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाया था, यहीं पर उन्होंने पहली बार आजादी के लिए बेड़ियां पहनी थी. 15 फरवरी 1948 को दुनिया को अलविदा कहने वाली सुभद्रा कुमारी चौहान आज भी अपनी रचनाओं में जिंदा हैं.
न जीवन-न मरण, फिर भी यहां की गलियों में बिखरी हैं सुभद्रा कुमारी चौहान की यादें
सुभद्रा कुमारी चौहान की तीसरी पीढ़ी आज भी उनकी यादों को संजोए हुए है. उनके पोते का बेटा ईशान चौहान उनकी कविताओं का अंग्रेजी अनुवाद कर रहा है, ताकि समाज के हर वर्ग को उनकी कालजयी रचनाओं की जानकारी मिल सके. इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने भी उन्हें याद किया है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ट्विटर पर लिखा- बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी. मां भारती की परतंत्रता की बेड़ियों को तोड़ने हेतु जेल की असह्य यातनाएं सहने व कविताओं से राष्ट्र प्रेम की अग्नि प्रज्ज्वलित करने वाली कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) की जयंती (Birth Anniversary) पर कोटिश: नमन!
वहीं केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) को याद करते हुए ट्विटर पर लिखा- झंडा सत्याग्रह (Jhanda Satyagrah) जबलपुर और नागपुर की अगुवाई करने वाली प्रथम महिला, स्त्री अधिकारों की प्रबल दावेदार, महान स्वतंत्रता सेनानी, कवयित्री एवं लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन!