शिवराज की इस पंक्ति में बीजेपी आलाकमान को क्या संदेश "जस की तस रख दीनी चदरिया" - शिवराज ने फिर दिया संकेत नाराजगी का
Shivraj statement line of kabir Bhajan : मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद शिवराज सिंह चौहान लगातार केंद्रीय आलाकमान को गुप्त संदेश दे रहे हैं. इन संदेशों का क्या मतलब है, इसको लेकर सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं हैं. भोपाल में शपथ ग्रहण समारोह से पहले निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा-"मित्रों अब विदा.. जस की तस रख दीनी चदरिया."
शिवराज ने फिर दिया बीजेपी आलाकमान को बयान से गुप्त संदेश
भोपाल।मध्यप्रदेश के 18 साल तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह के संदेशों में क्या गूढ़ अर्थ छिपा है. इसके लेकर मध्यप्रदेश के साथ ही पूरे देश की सियासत की समझ रखने वाले कई अर्थ निकाल रहे हैं. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के अगले दिन शिवराज सिंह ने रुष्ट अंदाज में कहा था कि कुछ मांगने से अच्छा मर जाना बेहतर है. इसलिए वह चुनाव परिणाम आने के बाद दिल्ली नहीं गए. इस विस्फोटक बयान के बाद बुधवार को शपथ ग्रहण समारोह से पहले शिवराज सिंह चौहान ने फिर केंद्रीय आलाकमान को अप्रत्यक्ष रूप से संदेश दिया.
शपथ समारोह से पहले बयान :मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें बहुत शुभकामनाएं दी. इसके बाद शिवराज ने समारोह में पहुंचे पीएम मोदी सहित अन्य मेहमानों का स्वागत किया. समारोह से पहले मीडिया से बात करते हुए शिवराज ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है मोहन यादव मध्यप्रदेश का संपूर्ण विकास करेंगे. इसके बाद शिवराज ने जो कहा वह बहुत चौंकाने वाल था, उन्होंने कहा " मित्रों अब विदा.. जस की तस रख दीनी चदरिया."
क्यों बोली कबीर के भजन की पंक्ति :अब सियासत के जानकार शिवराज द्वारा कबीर के मशहूर भजन की पंक्ति का उल्लेख करने का अर्थ निकाल रहे हैं. हालांकि 'जस की तस रख दीनी चदरिया' का सामान्य सा मतलब ये है कि उन्होंने सीएम का पद जस का तस वापस कर दिया है. लेकिन शिवराज ने इस मौके पर कबीर के भजन की इस लाइन का उल्लेख करके बीजेपी आलाकमान को एक प्रकार से संदेश दिया है. क्योंकि जब शिवराज ये लाइन बोल रहे थे उस समय उनकी भावभंगिमा सहज नहीं थीं, जैसे कि पद पर रहते हुए रहती थी.
क्यों नाराज हैं शिवराज :बता दें कि मध्यप्रदेश में आलाकमान द्वारा किए गए फैसले से शिवराज नाराज हैं. मध्यप्रदेश में मिली बंपर जीत के बाद उन्हें उम्मीद थी कि फिर उन्हीं को सीएम बनाया जाएगा. लेकिन आलाकमान ने कुछ और ही सोच रखा था. हालांकि इसके संकेत दिल्ली से शिवराज को चुनाव से पहले ही मिल गए थे. क्योंकि एमपी चुनाव में बीजेपी ने किसी नेता को सीएम फेस नहीं बनाया था. एक समय तो ऐसा लग रहा था कि शिवराज को टिकट मिलेगा भी या नहीं. लेकिन शिवराज ने चुनाव प्रचार के दौरान ऐसा दांव चला कि आलाकमान को टिकट भी देना पड़ा और तवज्जो भी देनी पड़ी. हालांकि चुनाव परिणाम आने के बाद सीएम को पहले की भांति दरकिनार कर दिया गया.