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MP:15 जिलों में सूखे के हालात, 72 फीसदी जलाशय खाली, प्रदेश में सामान्य से 4 फीसदी कम हुई बारिश

मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग को छोड़कर बाकी संभागों में सामान्य से भी कम वर्षा दर्ज की गई है. जिसके चलते प्रदेश के 15 जिले ऐसे हैं जहां सूखे के हालात बन रहे हैं.

MP के 15 जिलों में सूखे के हालात
MP के 15 जिलों में सूखे के हालात

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Published : Aug 26, 2021, 6:43 PM IST

Updated : Aug 26, 2021, 6:55 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग में कुछ दिनों पहले बाढ़ जैसे हालात थे, लेकिन अब प्रदेश के 15 जिलों में सूखे के हालात बन रहे हैं. बारिश का सीजन लगभग खत्म होने को है, लेकिन 15 जिलों में मॉनसून का कोटा पूरा नहीं हो सका है. सबसे ज्यादा खराब हालत जबलपुर, बालाघाट, खरगौर, धार, छतरपुर जिलों की है, जहां औसत से करीब 40 फीसदी कम बारिश हुई है.

इन जिलों में बारिश का इंतजार, बन रहे सूखे को हालत

प्रदेश के 15 जिलों में सूखे के हालात पैदा हो गए हैं. आमतौर पर अगस्त माह के बाद मानसून की वापसी शुरू हो जाती है. प्रदेश में अभी तक हुई बारिश के आंकड़ों को देखें तो प्रदेश में सामान्य से 4 फीसदी कम बारिश हुई है. ग्वालियर चंबल के 8 जिलों को छोड़कर बाकी किसी भी जिले में अभी तक सामान्य बारिश का कोटा पूरा नहीं हो सका है. सबसे ज्यादा खराब हालात सूबे के 15 जिलों की है, जहां औसत से 50 फीसदी तक कम बारिश हुई है.

किन-किन जिलों में सूखे के हालात?

सूखे की कगार पर खड़े जिलों में बुंदेलखंड क्षेत्र के छतरपुर, पन्ना और दमोह शामिल हैं. यहां 24 से 43 फीसदी तक कम बारिश हुई है. इसके अलावा कटनी में सामान्य से 33 फीसदी कम, जबलपुर में 42 फीसदी कम, मंडला में 22 फीसदी कम, सिवनी में 30 फीसदी कम, बालाघाट मे 38 फीसदी, होशंगाबाद में 20 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है. इसके अलावा हरदा में 29 फीसदी, बुरहानपुर में 21 फीसदी, खरगौन में 41 फीसदी, बड़वानी में 34 फीसदी, धार में 39 फीसदी और इंदौर में 26 फीसदी कम बारिश हुई है.

बांधों, जलाशयों का गला अभी भी सूखा

कम बारिश की वजह से प्रदेश के 252 जलाशयों और बांधों में से 69 जलाशय यानी सिर्फ 27.38 फीसदी ही 90 प्रतिशत से ज्यादा भर पाए हैं. 22 फीसदी जलाशय अभी भी 50 से 75 फीसदी तक खाली हैं. 18 फीसदी जलाशयों 10 से 25 फीसदी तक ही भर पाए हैं.

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किस बांध का कितना जल स्तर?

भोपाल का कोलार डैम अभी भी सिर्फ 56 फीसदी ही भर पाया है, जबकि कोलार डैम से शहर की बड़ी आबादी की प्यास बुझती है. इंदिरा सागर प्रोजेक्ट 32 फीसदी भरा, ओंकारेश्वर प्रोजेक्ट 45 फीसदी, रानी अवंतीबाई सागर बरगी डैम 78 फीसदी, राजघाट डैम 88 फीसदी, मंडला का माटियारी डैम 75 फीसदी, होशंगाबाद का तवा डैम 77 फीसदी, ग्वालियर का तिगरा डैम 61 फीसदी, राजगढ़ का कुंडलिया मेजर प्रोजेक्ट 30 फीसदी और राजगढ़ का मोहनपुरा मल्टीपर्पस प्रोजेक्ट सिर्फ 41फीसदी तक भरा है.

Last Updated : Aug 26, 2021, 6:55 PM IST

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