भोपाल।मध्यप्रदेश में सड़क हादसों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. इन हादसों के पीछे सबसे बड़ी वजह ओवर स्पीडिंग मानी जाती है, लेकिन तेज रफ्तार वाहन चलाने के साथ-साथ शराब पीकर वाहन चलाना भी हादसों के पीछे की एक मुख्य वजह है. बीते साल की ही बात करें तो ड्रिंक एंड ड्राइव के चलते एक हजार से ज्यादा हादसों में 241 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. जो प्रदेश में हुए कुल हादसों में हुई मौतों का आठ फीसदी है.
मध्यप्रदेश में सड़क हादसों की बात करें, तो यहां हादसे साल दर साल बढ़ते ही जा रहे हैं और इनमें होने वाली मौतों का आंकड़ा भी दोगुनी तेजी से बढ़ रहा है. हर साल हजारों वाहन चालकों को लापरवाही के चलते अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. सड़क हादसों के पीछे सबसे बड़ा कारण ओवर स्पीडिंग है. तेज रफ्तार वाहन चलाने के चलते ही प्रदेश भर में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती है. इन हादसों के पीछे दूसरा सबसे बड़ा कारण शराब पीकर वाहन चलाना है. पुलिस की लाख कोशिशों के बावजूद भी शराब पीकर वाहन चलाने और उन में होने वाले हादसों में कमी नहीं आ रही है. बीते साल यानी 2019 की ही बात करें, तो ड्रिंक एंड ड्राइव के चलते मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कुल 1030 सड़क हादसे हुए हैं. इन हादसों में 246 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है. तो वहीं 152 वाहन चालक गंभीर रूप से घायल हुए हैं और इन हादसों में 887 लोगों को हल्की चोटें आई हैं.
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पुलिस के पास नहीं है पर्याप्त सुविधाएं
शराब पीकर वाहन चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने और यह पता लगाने के लिए कि वाहन चालक ने शराब का सेवन किया है या नहीं. इसके लिए पुलिस के पास पर्याप्त सुविधाएं नहीं है. यातायात पुलिस के पास शराबी वाहन चालकों का पता लगाने के लिए ब्रीथ एनालाइजर होता है, लेकिन राजधानी भोपाल में ही इसका उपयोग पूरी तरह से नहीं किया जा रहा है. तो दूरदराज के अंचलों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. पुलिस केवल वाहन चालकों की हरकतों और उनका मुंह सूंघकर पता लगाती है कि, वाहन चालक ने शराब पी है या नहीं. वहीं कोरोना काल में पुलिस शराबियों के मुंह सूंघने में भी कतरा रही है. इसके चलते पुलिस शराबी वाहन चालकों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई नहीं कर पा रही है.
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