भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पत्र लिखकर सैलून व्यवसाय करने वाले सेन समाज के लोगों को आर्थिक मदद करने की मांग की है, उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का सेन समाज की समस्याओं पर ध्यान आकर्षित करते हुए प्रति माह 6000 रूपये 3 महीने तक आर्थिक सहायता देने की मांग की है.
दिग्विजय सिंह ने सीएम शिवराज सिंह को लिखा पत्र, नाई समाज की आर्थिक मदद करने की मांग - पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय ने सीएम शिवराज को पत्र लिखकर सैलून संचालकों की आर्थिक स्थिति पर चिंता जताई है, उनका कहना है कि सरकार को इनकी आर्थिक मदद करनी चाहिए.
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पत्र लिखकर कहा है कि युवक संयुक्त सेन समाज संगठन के अध्यक्ष हरिनारायण सेन का पत्र आपको सैलून व्यवसायियों की सूची सहित भेज रहा हूं, कोरोना वायरस के लॉकडाउन के कारण मध्य प्रदेश में लगभग 5 लाख सैलून व्यवसायी विगत 2 माह से बेरोजगार हैं, इनमें से अधिकांश सैलून चलाने वाले नाई और सतनामी समाज के लोग हैं, जिनका जीवन चलाने का एकमात्र साधन अपनी छोटी-छोटी दुकानें हैं, इनमें से अनेक किराए की दुकान अथवा गुमटियों में लोगों को सेवा प्रदान करते हैं, दो माह के लॉकडाउन में इनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है और इनके परिवारों को भूखे मरने की नौबत आ गई है, मैंने इस संबंध में पूर्व में भी आप को पत्र लिखा था, जिस पर आप की ओर से अभी तक कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ है.
- प्रदेश में कंटेनमेंट क्षेत्र को छोड़कर अन्य स्थानों पर पूर्ण सुरक्षा प्रबंधों के साथ सैलून व्यवसायियों को अपना व्यवसाय प्रारंभ करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
- सैलून का कार्य नजदीकी स्पर्श के नहीं किया जा सकता है, इसलिए सैलून संचालकों के लिए सरकार को चिकित्सकों की भांति सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए जाने चाहिए, ताकि सैलून व्यवसाय और उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके,सरकार उन्हें पीटीई किट अथवा कैप, दास्ताने, मास्क एवं सैनिटाइजर आदि सुरक्षा सामग्री प्रदान करे.
- सभी सैलून व्यवसायियों को 6000 रूपए प्रति माह की आर्थिक सहायता दिया जाए, ताकि वे अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें.
- दिग्विजय सिंह ने शिवराज सिंह से अनुरोध किया है कि सैलून का व्यवसाय कर रहे लोगों को सुरक्षा प्रबंधों के साथ अपना व्यवसाय प्रारंभ करने की अनुमति देने एवं उनकी आर्थिक समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए उनके हित में शीघ्र निर्णय देने का कष्ट करें.