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दिग्विजय सिंह के पीएम मोदी से दस दिन दस सवाल, लगाया आदिवासी विरोधी सरकार होने का आरोप

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Published : May 4, 2019, 3:19 PM IST

Updated : May 4, 2019, 4:32 PM IST

कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी से दस सवाल पूछे. दिग्विजय सिंह ने आदिवासियों को लेकर कई सवाल पूछे.

कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह

भोपाल। भोपाल संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सवाल पूछे. दिग्विजय सिंह ने 10 दिन 10 सवाल की श्रृंखला में आदिवासियों को लेकर सवाल पूछे.


दिग्विजय सिंह ने PM मोदी से पूछे ये सवालः

  • सवाल 1-2014 के अपने घोषणापत्र में बीजेपी ने कहा था कि वह आदिवासियों के लिए नई आर्थिक गतिविधियां शुरू करेगी. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आदिवासी अपनी भूमि से जुदा ना हो. मगर मोदी सरकार ने आदिवासियों को जमीन से बेदखल करने का काम क्यों किया.
  • सवाल 2- साल 2006 में यूपीए सरकार ने वन अधिकार क़ानून बनाया था. इस कानून के तहत 42 लाख आदिवासियों और वनवासियों ने वनभूमि पर अधिकार के लिए आवेदन किए थे. इनमें से 19.34 लाख आवेदन खारिज कर दिए गए. सर्वोच्च न्यायालय में एनडीए सरकार आदिवासियों के पक्ष में क्यों खड़ी नहीं रही.
  • सवाल 3- मप्र में वन भूमि का मालिकाना हक पाने के लिए सवा चार लाख आदिवासी परिवारों के दावों में से दो लाख दावे खारिज कर दिए गए. प्रदेश की तत्कालीन बीजेपी सरकार ने ऐसा क्यों किया था.
  • सवाल 4- बीजेपी ने 2014 के घोषणा पत्र में कहा था कि आदिवासियों के विकास और कल्याण में बढ़ोतरी की जाएगी, उसका क्या हुआ. आखिर क्यों बीजेपी सरकार ने 2014 की तुलना में 2018 में आदिवासी कल्याण के सामान्य व्यय को 52 प्रतिशत तक कम कर दिया. आदिवासी बच्चों के लिए छात्रवृत्ति के बजट में कमी कर दी गई.
  • सवाल 5- मप्र में सबसे ज्यादा 1.53 करोड़ आदिवासी निवास करते हैं, वहीं उनके साथ सबसे ज्यादा अपराध भी होते हैं. साल 2016 में देश में आदिवासियों के साथ अत्याचार के सबसे ज्यादा 1823 मामले मध्यप्रदेश में दर्ज हुए है. इन अत्याचार के मामलों का अदालत में परीक्षण क्यों पूरा नहीं किया गया.
  • सवाल 6- मप्र में आदिवासियों पर अत्याचार के 5844 मामले लंबित थे. इनमें से साल 2016 में केवल 900 ही परीक्षण हुआ है. जिनमें से 671 आरोपी कमजोर कार्रवाई के चलते छूट गए. आदिवासियों को न्याय देने में कमी क्यों थी.
  • सवाल 7- आदिवासी शासन व्यवस्था से जुड़े कानूनी मसलों, भूमि अधिग्रहण अधिनियम आदि को कमजोर किया गया. ग्रामसभा की शक्तियों को कम किया गया जिससे ग्रामसभा के दखल के बिना वन जमीन कॉपोरेट को दी जा सके. आदिवासी अधिकारों को बीजेपी सरकार ने क्यों क्षीण किया.
  • सवाल 8- बीजेपी सरकार ने ट्राइबल सब-प्लान / ST Componant के साथ खिलवाड़ क्यों किया. जो पैसा आदिवासी समुदाय के विकास में लगना चाहिए था, उसे दूसरे कामों में, ख़ासतौर पर आदिवासी रहन सहन को ख़तरे में डालने वाले प्रोजेक्ट में क्यों निवेश कर दिया.
  • सवाल 9- दिग्विजय ने कहा कि क्या भूमि अधिग्रहण और MMRDA क़ानून में मोदी सरकार के संशोधन आदिवासी विरोधी नहीं है. ये निजी कम्पनियों द्वारा आदिवासी भूमि के अधिग्रहण को बिना ग्राम सभा की स्वतंत्र और सूचित सहमति के सम्भव नहीं बनाते. क्या ये आदिवासियों को बिना मुआवज़े और पुनर्स्थापन, बेदख़ल नहीं करते.
  • सवाल 10- क्या वन अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन वन अधिकारियों को आदिवासियों को गोली मारने के असीमित अधिकार नहीं देते. क्या ये वन अधिकारियों को आदिवासियों से अधिकार वापस लेने और उन्हें ज़बरदस्ती स्थानांतरित करने का अधिकार नहीं देते है. ऐसे डिक्टेटरशिप वाले संशोधन क्यों हैं.
Last Updated : May 4, 2019, 4:32 PM IST

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