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बच्चों में बीमारी की पहचान के लिए एक माह तक चलेगा दस्तक अभियान

मध्यप्रदेश में बच्चों में होने वाली बीमारियों की पहचान के लिए 19 जुलाई से 18 अगस्त तक दस्तक अभियान चलाया जाएगा, ताकि बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सके.

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प्रतीकात्मक चित्र

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Published : Jul 8, 2021, 2:46 PM IST

भोपाल।मध्यप्रदेश में पांच साल तक की आयु के बच्चों में होने वाली बीमारियों की पहचान के लिए आगामी 19 जुलाई से दस्तक अभियान चलाया जाएगा, ताकि बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सके. स्वास्थ्य तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त दल (एएनएम, आशा, आंगनवाडी कार्यकर्ता) जिन परिवारों में पांच वर्ष की आयु तक के बच्चे हैं, उनके घर-घर दस्तक देंगे और बच्चों में प्राय: पाई जाने वाली बीमारियों की पहचान करेंगे, साथ ही उनके उचित उपचार का प्रबंध भी किया जाएगा. इसके लिए दस्तक अभियान 19 जुलाई से शुरू होकर 18 अगस्त तक चलाया जाएगा.

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दस्तक अभियान के दौरान कोरोना संक्रमण पर भी खास नजर रखी जाएगी, यदि किसी बच्चे में कोविड-19 के लक्षण या पिछले तीन दिन से बुखार, सांस लेने में कठिनाई, कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति के संपर्क की हिस्ट्री होगी तो ऐसे बच्चों को कोविड-19 की जांच हेतु रेफर किया जायेगा. बाल मृत्यु दर घटाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिसके तहत बच्चों को समय-समय पर टीका व पोषण के अलावा मुफ्त दवाओं का वितरण किया जाता रहा है.

मिशन इंद्रधनुष के तहत बच्चों को रोग से बचाव के लिए मुफ्त टीके लगाए जाते हैं, इंद्रधनुष का लक्ष्य दो साल तक के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए सभी उपलब्ध वैक्सीनेशन सुनिश्चित करना है. सरकार ने देश के सभी राज्यों में 201 उच्च फोकस वाले जिलों की पहचान की है, जहां आंशिक रूप से प्रतिरक्षित और अप्रतिरक्षित बच्चों की संख्या सबसे अधिक है. पहले पूर्ण टीकाकरण कवरेज में वृद्धि 1% प्रति वर्ष थी, जोकि मिशन इंद्रधनुष के पहले दो चरणों के माध्यम से बढ़कर 6.7% प्रति वर्ष हो गई है. अगस्त 2017 तक मिशन इंद्रधनुष के चार चरणों का आयोजन किया गया है और 2.53 करोड़ से अधिक बच्चों और 68 लाख गर्भवती महिलाओं का वैक्सीनेशन किया जा चुका है. दिसंबर 2014 में शुरू किये गए मिशन इन्द्रधनुष के अंतर्गत भारत का वैक्सीनेशन कवरेज लगभग 87% तक पहुंच गया है. यह आंकड़ा भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार है.

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