भोपाल।प्रदेश में इस साल पुलिस हिरासत (custodial deaths in 2021) में 11 मौतें (11 deaths recorded in mp) हुई हैं. पिछले साल यह आंकडा 14 था. पुलिस कस्टडी में हुई मौत के मामले में पिछले साल के मुकाबले थोड़ा सुधार हुआ है.इस आंकडे के साथ मध्य प्रदेश पुलिस हिरासत में हुई मौतों के मामले में देश में चौथे स्थान पर है. पुलिस कस्टडी में सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 26 मौतें हुई हैं.
देश भर में सामने आए 151 मामले
इस साल देश में हिरासत में मौत (custodial deaths in 2021)के 151 मामले सामने आए हैं. केन्द्र सरकार ने हाल ही में सदन में इसकी जानकारी दी है. जिसमेंं देश में सबसे ज्यादा हिरासत में मौतें 26 महाराष्ट्र में, इसके बाद गुजरात में 21, बिहार में 18 और मध्यप्रदेश(11 deaths recorded in mp) उत्तर प्रदेश में 11-11 लोगों की हिरासत में मौत हुई है. मध्यप्रदेश में हिरासत में हुई मौत की कुछ घटनाओं में जमकर राजनीतिक बवाल हुआ जिसके बाद राज्य सरकार ने पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी की है.
- खंडवा में 35 साल के आदिवासी युवक को पुलिस ने चोरी के मामले में पकड़ा था. थाने में हुई पिटाई से युवक की थाने में ही मौत हो गई थी. घटना के बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस थाने पर हमला कर दिया. राजनीति भी काफी हुई. इस मामले में 4 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था.
- 17 अगस्त को ग्वालियर जिले के इंदरगंज थाने में पुलिस हिरासत में एक युवक की मौत हो गई थी. युवक को सट्टे बाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
- 5 सितंबर को खरगौन के बिस्टान में पुलिस हिरासत में एक आदिवासी युवक की मौत हो गई. घटना से गुस्साए ग्रामीणों ने थाने में तोड़फोड कर दी थी.मामले में राज्य सरकार ने पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की.
- 4 अप्रेल मंदसौर नारकोटिक्स विंग की हिरासत में एक युवक की मौत हो गई. आरोपी को 90 ग्राम स्मैक के साथ गिरफ्तार किया था. मृतक के परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए थे. मामले में 5 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था.
2020 के मुकाबले आंकडों में सुधार
मध्यप्रदेश में पिछले साल के मुकाबले इस साल हिरासत में मौत के मामलों में थोड़ी कमी आई है. मध्यप्रदेश में साल 2020 में पुलिस कस्टडी में मौतों के 14 मामले सामने आए थे. पिछले साल लोक सभा में दी गई जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा मौतें मध्यप्रदेश में 14, तमिलनाडु और गुजरात में 12 लोगों की मौत हुई थीं.
जिम्मेदारी तय कर सख्ती से हो कार्रवाई
हिरासत में मौत के मामलों में रिटायर्ड डीजी अरूण गुर्टू का कहना है कि 'हिरासत में मौत के मामलों में न्यायित जांच का प्रावधान है. ऐसे मामलों में जिम्मेदारी तय कर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. वे कहते हैं कि वैसे पूरे मध्यप्रदेश में अभी तक हुई हिरासत में मौत के आंकड़ों को देखा जाए तो वह बहुत ज्यादा नहीं है.