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कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर लगाए आरोप, 'फसल बीमा पोर्टल से हजारों गांव और अधिसूचित फसलें गायब'

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. आज भी प्रधानमंत्री फसल बीमा के पोर्टल पर लगभग सात हजार गांवों की ना तो अधिसूचित फसल दर्ज है और ना ही गांव का नाम दर्ज है. ऐसे में किसानों को कैसे मिलेगा फसल बीमा का लाभ, ये बड़ा सवाल है ?

Congress accuses BJP
कांग्रेस ने बीजेपी पर लगाए आरोप

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Published : Sep 14, 2020, 1:16 PM IST

Updated : Sep 14, 2020, 2:29 PM IST

भोपाल। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर शिवराज सरकार पर गंभीर आरोप लग रहे हैं. मध्य प्रदेश कांग्रेस का कहना है कि, प्रदेश में किसान बीमा के नाम पर बीजेपी की सरकार हर रोज नई बातें कर रही है, लेकिन तथ्य ये है कि, आज भी प्रधानमंत्री फसल बीमा के पोर्टल पर लगभग सात हजार गांवों की ना तो अधिसूचित फसल दर्ज है और ना ही गांव का नाम दर्ज है.

कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर लगाए आरोप

कांग्रेस ने कहा कि, बैतूल के भीमपुर, ढाबला, बाड़ी गांव, खेड़ा आदि ग्रामों की अधिसूचित फसलें पोर्टल पर ना होने की लिखित शिकायत इन सहकारी समितियों ने की है. उन्होंने ये भी बताया है कि, लीड बैंक ने इस तरह की शिकायत शासन स्तर पर किए जाने के बावजूद इनका निराकरण नहीं किया है.

कांग्रेस ने लगाए ये आरोप

मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने बैतूल जिले की समितियों के शिकायती पत्र जारी करते हुए कहा कि, कृषि मंत्री कमल पटेल रोज अपनी झूठी वाहवाही करते रहते हैं, लेकिन उन्हें ये भी अंदाजा नहीं है कि, उनके पड़ोसी जिले में सैकड़ों गांव की अधिसूचित फसल पोर्टल में दर्ज नहीं हो पाई है. जिसे लेकर भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि, 'क्या कृषि मंत्री कमल पटेल बताएंगे कि, ऐसी अवस्था में किसानों को किस तरह उनके बीमा के दावे किए जाएंगे'?

बीमा की तारीख बढ़ाने का मामला

उन्होंने कहा कि, जिस तरह से बीमा कंपनी को तय करने में शिवराज सरकार ने 4- 4 टेंडर किए. उसके बाद भी तय समय सीमा में बीमा कंपनी ही तय नहीं हो पाई. 28 अगस्त को बीमा कंपनी का नाम तय हुआ. इसलिए मजबूरी में केंद्र सरकार से गिड़गिड़ा कर 31 तारीख तक अवधि बढ़वानी पड़ी है. जब कांग्रेस ने ये मामला उठाया कि, एक ही दिन में बीमा कैसे होगा, तो केवल 5 जिलों का 1 सप्ताह के लिए तारीख आगे बढ़ाने की घोषणा की गई है.

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भूपेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया है कि, जब अंतिम तारीख गुजरे 2 हफ्ते हो चुके हैं, तब भी मध्य प्रदेश सरकार बेसुध पड़ी है. उसके पोर्टल पर किसानों की अधिसूचित फसल और गांव के नाम भी दर्ज नहीं हो पा रहा है. किसानों की बीमा कंपनियों द्वारा किए जाने वाले डॉक्यूमेंटेशन का सारा लोड बैंकों पर डाल दिया गया है. लगभग 40 लाख किसानों के डॉक्यूमेंटेशन के खर्चे से बीमा कंपनी को बचाकर लगभग 5 करोड़ का फायदा पहुंचाया गया है. जबकि ये वजन बैंकों पर डाल दिया गया है, जिन्हें मजबूरी में समय सीमा के अंदर डॉक्यूमेंटेशन करना पड़ रहा है.

उन्होंने मांग की है कि, सरकार तत्काल पोर्टल पर गांव एवं अधिसूचित फसलों के दर्ज होने तक बीमा अवधि खुली रखने का निर्देश पारित करें, साथ ही बीमा कंपनी से भी इसकी घोषणा करवाएं. अन्यथा हजारों गांव के लाखों किसान फसल नष्ट होने की अवस्था में बीमा के दावे से वंचित रह जाएंगे.

Last Updated : Sep 14, 2020, 2:29 PM IST

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