भोपाल। भगवती चरण वर्मा द्वारा लिखित और राजेश भदौरिया द्वारा निर्देशित नाटक "चौपाल में" का मंचन हुआ. नाटक के माध्यम से लोगों का ध्यान छुआ-छूत जैसी कुरीति की ओर आकर्षित करने का प्रयास किया गया है.
समाज की रूढ़िवादी मानसिकता पर चोट करता नाटक "चौपाल में"
भगवती चरण वर्मा द्वारा लिखित और राजेश भदौरिया द्वारा निर्देशित नाटक "चौपाल में" का मंचन रविंद्र भवन भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय नाट्य एवं कविता समारोह में हुआ.
नाटक की शुरुआत एक परेशानी से होती है, जब गांव में होने वाली नौटंकी को आयोजित करने वाली मंडली अनुपस्थित होती है. बात सरपंच ठाकुर की साख पर आ जाती है तो सभी पंच मिलकर खुद ही नौटंकी करने का फैसला लेते हैं. उनका मांझी बनता है अकील पेंटर, जिसकी मंडली उसे छोड़कर जा चुकी है. सबको संजोकर अकील पेंटर नौटंकी शुरू करता है.
इस नौटंकी के बीच में हंसी-मजाक के साथ नाटक कई पहलुओं पर ध्यान खींचता है. जैसे समाज में फैले छुआछूत, असमानता, अकेली स्त्रियों को गलत नजर से देखना और उपभोग की वस्तु समझना को इंगित करता है. साथ ही समाज की रूढ़िवादी मानसिकता पर चोट करता है.