MP By-Election: आमने-सामने उम्मीदवार, जातियों का झुकाव तय करेगा जीत हार, साफ होगी 2023 की तस्वीर - gyanendra patil
मध्य प्रदेश में 1 लोकसभा और 3 विधानसभाओं में उपचुनाव होना है. बीजेपी और कांग्रेस ने इन उपचुनावों को अपनी साख का सवाल बना लिया है. दमोह उपचुनाव में मिली जीत को कांग्रेस दोहराने की कोशिश में है, तो वहीं सत्तापक्ष सभी सीटें जीतकर अपना दबदबा दिखाने की कोशिश में है. इस बीच इन सीटों पर जीत-हार के फैक्टर तय करने वाले कई समीकरण हैं.
आमने-सामने उम्मीदवार, जातियों का झुकाव तय करेगा जीत हार
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Published : Oct 7, 2021, 6:48 PM IST
भोपाल। मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस के बाद बीजेपी ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. दोनों ही पार्टी की लिस्ट में कई ऐसे नाम हैं जो चौंकाने वाले हैं. अब दोनों पार्टी जीत के दावे ठोंक रही है. मध्य प्रदेश में 1 लोकसभा सीट और 3 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने है. चारों ही सीटें यहां के जनप्रतिनिधियों के निधन से खाली हुई है. ऐसे में सांत्वना लहर के अलावा और भी कई फैक्टर हैं, जो इन सीटों पर अहम भूमिका निभाते हैं.
यहां से बीजेपी ने ज्ञानेश्वर पाटिल और कांग्रेस ने राजनारायण पुरनी को उम्मीदवार बनाया है. नंदकुमार सिंह चौहान के निधन से खाली हुई इस सीट पर बीजेपी से उनके बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान और अर्चना चिटनीस दावा ठोंक रही थी, लेकिन किस्मत चमकी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ज्ञानेश्वर पाटिल की. वहीं कांग्रेस से पूर्व सांसद अरुण यादव यहां से अपना दावा ठोंक रहे थे, हालांकि बाद में खुद ही उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और कांग्रेस ने यहां से राजनारायण पुरनी को टिकट दिया.
कुल मतदाता
खंडवा लोकसभा उपचुनाव
कुल विधानसभा
08
कुल मतदाता
19,59,436
पुरुष वोटर्स
9,89,451
महिला वोटर्स
9,49,862
अन्य
90
साढ़े 7 लाख से ज्यादा एसटी/एससी वोटर्स के हाथ में जीत की चाबी
खंडवा लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा की सीटें हैं, जिनमें से 4 सीटें आरक्षित हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात इस क्षेत्र में 6 लाख से ज्यादा आदिवासी वोटर हैं, जो चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं.
यह है जातीय समीकरण
जातीय समीकरण
सामान्य
3,62,600
ओबीसी
4,76,280
एससी/एसटी
7,68,320
अल्पसंख्यक
2,86,160
अन्य
1500
ये हैं मुख्य मुद्दे
कोई बड़ा उद्योग नहीं लगा, दाल मिल, जीनिंग फैक्ट्री बंद
इंदौर-इच्छापुर फोरलेन राजमार्ग अधूरा
खंडवा रिंग रोड, बायपास अधूरा
बुरहानपुर के 10-12 हजार पावरलूम बंद
नर्मदा जल योजना का लाभ नहीं मिला
उम्मीदवार: नितेन्द्र सिंह राठौर (कांग्रेस), शिशुपाल यादव (बीजेपी)
पृथ्वीपुर ( विधानसभा)
उम्मीदवार: नितेन्द्र सिंह राठौर (कांग्रेस), शिशुपाल यादव (बीजेपी)
पूर्व मंत्री और विधायक बृजेन्द्र सिंह राठौर के निधन से पृथ्वीपुर सीट खाली हुई है. सांत्वना लहर का फायदा उठाने के लिए कांग्रेस ने यहां से बृजेन्द्र सिंह राठौर के बेटे नितेन्द्र सिंह राठौर को टिकट दिया है. बृजेन्द्र सिंह राठौर का क्षेत्र में अच्छा दबदबा था, इसलिए उनके बेटे को टिकट देने का विरोध भी देखने को नहीं मिला. इस सीट पर बीजेपी ने शिशुपाल सिंह यादव को टिकट दिया है.
दिवंगत विधायक बृजेन्द्र सिंह राठौर ने पांच चुनाव जीते थे और सिर्फ एक ही विधानसभा चुनाव हारे. 2008 में परिसीमन के बाद से अलग बनी पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पर तीन बार चुनाव हुए, जिसमें से दो बार कांग्रेस के बृजेन्द्र सिंह राठौर और एक बार बीजेपी के हिस्से में यह सीट आई थी. बीजेपी ने कांग्रेस के नितेन्द्र सिंह राठौर के मुकाबले बीजेपी ने शिशुपाल यादव पर दांव लगाया है. 2018 के विधानसभा चुनाव में शिशुपाल यादव ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. शिशुपाल अब बीजेपी से उम्मीदवार हैं.
इस विधानसभा पर हुए पिछले15 चुनावों में सिर्फ 2 बार ही बीजेपी जीत दर्ज कर सकी है. सुलोचना ने हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की है. बीेजेपी यहां सुलोचना के सहारे अपनी नैया पार लगाना चाहती है. इस सीट पर सुलोचना का अच्छा जनाधार माना जाता है.
कांग्रेस का गढ़ रहा है जोबट
यहां से लंबे समय तक कांग्रेस के टिकट पर अजमेरसिंह रावत जीतते रहे. उनके निधन के बाद उनकी बहू सुलोचना को भी जनता का आशीर्वाद मिला. 1998 में भी जीत हासिल की लेकिन 2003 में उन्हें इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा. 2008 में फिर से उनकी वापसी हुई . इस उपचुनाव में सुलोचना अब बीजेपी की उम्मीदवार हैं.
जोबट का जातिगत गणित
जोबट विधानसभा सीट पर आदिवासियों की संख्या करीब 97 फीसदी है. इस सीट पर वैसे तो हमेशा दो दलों के बीच ही सीधी फाइट रहती हैं, लेकिन तीसरा दल भी अपना असर दिखाता है. जयस संगठन की सक्रियता ने बीजेपी को नुकसान पहुंचाया था. जोबट विधानसभा में 2 लाख 60 हजार 598 मतदाता है.
उम्मीदवार: प्रतिमा बागरी (बीजेपी), कल्पना वर्मा (कांग्रेस)
रैगांव (विधानसभा)
उम्मीदवार: प्रतिमा बागरी (बीजेपी), कल्पना वर्मा (कांग्रेस)
बीजेपी विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन से खाली हुई सीट पर जुगल किशोर बागरी के दोनों बेटे पुष्पराज बागरी और देवराज बागरी भी अपना दावा ठोंक रहे थे. बीजेपी ने दोनों को दरकिनार करते हुए प्रतिमा बागरी को टिकट दिया है. क्योंकि इस सीट पर बागरी परिवार का दबदबा रहा है. कांग्रेस ने यहां के कल्पना वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है. सीट के समीकरणों को देखकर दोनों ही प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत का दावा ठोंक रहे हैं.
बीजेपी का रिकॉर्ड बाकियों से बेहतर
सतना जिले के रैगांव विधानसभा सीट का गठन सन 1977 में हुआ था, रैगांव विधानसभा सीट पर अब तक 10 बार चुनाव हो चुका है, जिसमें 5 बार बीजेपी और 2 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है, जबकि एक बार बहुजन समाज पार्टी ने चुनाव जीता था, इसके अलावा 2 बार अन्य दलों का कब्जा रहा, ऐसे में रैगांव सीट पर बीजेपी की जीत का प्रतिशत सबसे अधिक रहा है. यही वजह है कि रैगांव विधानसभा सीट बीजेपी के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है. रैगांव विधानसभा क्षेत्र में अब तक 10 विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें से पांच बार बीजपी ने जीत दर्ज की है, वहीं दो बार कांग्रेस, एक बार बीएसपी और दो बार अन्य दलों के उम्मीदवारों ने जीत का स्वाद चखा है.
रैगांव विधानसभा का जातीय समीकरण
सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट पर आदिवासी और दलित मतदाता सबसे अधिक हैं. जाति में कुशवाहा, सेन, विश्वकर्मा, बागरी और ब्राह्मण समाज के मतदाता प्रमुख भूमिका निभाते हैं. अनुसूचित जाति एवं ओबीसी वर्ग के प्रभाव वाली इस सीट पर सियासी दलों की नजर सवर्ण वोटरों पर भी रहती है, यही वजह है कि बीजेपी-कांग्रेस इन वर्गों के बीच सक्रिय हो चुकी हैं.
अहम मुद्दे
रैगांव उपचुनाव में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और बरगी नहर का पानी रैगांव विधानसभा क्षेत्र के मुख्य मुद्दे हैं, रैगांव विधानसभा क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है, बेहतर इलाज के लिए लोगों को सतना या दूसरे शहरों का रुख करना पड़ता है, शिक्षा का भी यही हाल है, इसके अलावा सड़क और पानी के मुद्दों को लेकर यहां के वोटरों में नाराजगी साफ देखी जा सकती है.