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बीजेपी ने उम्मीदवारों की सूची जारी करके दिया संतुलन का संदेश, 'नहीं कम हुई कार्यकर्ताओं की अहमियत'

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है, उस सूची के जरिए बीजेपी ने संतुलन का संदेश दिया है. लेकिन इससे पार्टी में असंतोष कहीं न कहीं बना हुआ है.

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Published : Oct 7, 2020, 2:06 PM IST

भोपाल।मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की सूची जीरी कर संतुलन का संदेश दिया है. एक तरफ जहां 25 पूर्व विधायकों को उम्मीदवार बनाया गया है तो तीन जगहों पर संगठन से जुड़े लोगों को जगह दी गई है.

राज्य में बीजेपी की सरकार पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके साथ 22 तत्कालीन विधायकों द्वारा इस्तीफा देने से बनी थी. उसके बाद तीन और तत्कालीन विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. इस तरह कांग्रेस से बीजेपी में आने वाले पूर्व विधायकों की संख्या 25 हो गई थी.

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बीजेपी ने हाल ही में सभी 28 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. इस सूची में 25 उम्मीदवार वही हैं, जो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे. वहीं पार्टी ने तीन ऐसे उम्मीदवारों के जरिए संतुलन का संदेश दिया है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण मुरैना जिले की जौरा विधानसभा सीट है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मुरैना से बनवारी लाल शर्मा के परिजनों को टिकट देने के पक्ष में थे. बनवारी लाल शर्मा की गिनती सिंधिया के करीबी में होती रही है, और वे कांग्रेस के विधायक थे लेकिन उनका निधन होने से जगह खाली है. पार्टी ने यहां से सूबेदार सिंह को उम्मीदवार बनाया है.

बीजेपी के एक नेता का कहना है कि पार्टी ने जहां कांग्रेस छोड़कर आए पूर्व विधायकों को उम्मीदवार बनाने का वादा किया था, उन नेताओं ने त्याग किया है, इसलिए पार्टी ने सभी 25 पूर्व विधायकों को उम्मीदवार बनाकर अपना वादा निभाया है. वहीं पार्टी के तीन निष्ठावान कार्यकर्ताओं का ध्यान रखकर उनको उम्मीदवार बनाया गया है.

राजनीतिक विश्लेषक भारत शर्मा का कहना है कि बीजेपी ने भले ही अपना वादा निभाया हो, लेकिन इससे पार्टी में असंतोष तो पनपा ही है. वहीं तीन उन नेताओं को उम्मीदवार बनाया है जो पुराने और समर्पित कार्यकर्ता हैं. इस तरह पार्टी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनके लिए समर्पित कार्यकर्ताओं की अहमियत कम नहीं हुई है.

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