भोपाल। यूनानी दवाओं में विषाक्त प्रभाव हो सकते है! वास्तविकता यह है की यूनानी औषद्यियों की गुणवत्ता और उनके रख रखाव के सिद्धांतों की अनदेखी की जाए तो उसके विपरीत प्रभाव पड़ने का खतरा होता है. यह बातें यूनानी चिकित्सालय में हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर वक्ताओं ने कही. (Made aware of danger toxic effect unani medicines)
स्वयं इलाज की रोकथाम जरूरीः शासकीय यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय में ‘‘Need of Safety Monitoring of Toxic Drugs used in Unani System of Medicine’’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी पर वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किया. हकीम मोहम्मद आजम खान सभागार में आयोजित हुए समारोह में डॉ. राज नारायण तिवारी, निदेशक आईसीएमआर, भोपाल ने कहा कि आयुष पद्धति में प्रयोग होने वाली दवाओं के विषाक्त प्रभाव से जनता को अवगत कराना समय की महत्वपूर्ण आवश्यकता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया की जनता में सेल्फ मेडीकेशन के रुझान पर रोकथाम की अवयशकता है. (Bhopal seminar unani medicines) (prevention of self treatment is necessary)
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यूनानी दवाओं की गुणवत्ता और रखरखाव पर विशेष ध्यान की जरूरतः समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ. मोहम्मद खालिद, ड्रग कंट्रोलर यूनानी, आयुष विभाग, दिल्ली ने कहा की जनमानस में और किसी हद तक यूनानी चिकित्सकों में पाया जाने वाला यह अहसास गलत है कि यूनानी दवाओं में विषाक्त प्रभाव नहीं होता. वास्तविकता यह है यूनानी औषद्यियों की गुणवत्ता और उनके रख रखाव के सिद्धांतों की अनदेखी की जाए तो उसके न सिर्फ विपरीत प्रभाव पड़ने का खतरा होता हे बल्कि वो रोग को बढ़ाने का कारण भी बन सकती है. समारोह के मुख्य संरक्षक पंकज शर्मा, उप सचिव आयुष विभाग, मध्य प्रदेश ने दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन पर अपनी प्रश्न्नता व्यक्त की तो माल सिंह भयडिया आयुक्त भोपाल संभाग ने कहा कि प्रयास यह होना चाहिए कि रोगों के उपचार के लिए दवाइयां मरीजों को कम से कम दी जाएं. यह भी एक तरीका है, जिससे हम रोगियों को दवाओं के विषाक्त प्रभाव से बचा सकते हैं. (Quality of Unani medicines need special attention)