भोपाल। राजधानी का एक सरकारी स्कूल किसी भी प्राइवेट स्कूल का मुकाबला कर सकता है. सकारात्मक सोच और नए विचार के बल पर इस स्कूल के हेड मास्टर ने लोगों की मदद से स्कूल का कायाकल्प कर दिया है.
ये सरकारी स्कूल दे सकता है किसी भी प्राइवेट स्कूल को मात, जनसहयोग से हुआ कायाकल्प
राजधानी के एक सरकारी स्कूल की व्यवस्थाएं किसी भी प्राइवेट स्कूल से बेहतर हैं. इसका श्रेय स्कूल हेडमास्टर सुभाष सक्सेना को जाता है, जिन्होंने जनसहयोग से इस सरकारी स्कूल की कायापलट कर दी है.
सूरज नगर का ये सरकारी स्कूल किसी छोटे प्राइवेट स्कूल से भी बेहतर नजर आता है. यहां की बाउंड्री वॉल पर आदिवासी संस्कृति से जुड़े चित्र बनाए गए हैं. दीवारों के आसपास करीब 50 पौधे लगाए गए हैं. इस स्कूल में बच्चों के बैठने की बेहतर व्यवस्था है, लेकिन ये स्कूल पहले ऐसा नहीं था. हेड मास्टर सुभाष सक्सेना के 'एक मिनट रुक जा' जनसहयोग ने इस स्कूल को किसी भी प्राइवेट स्कूल से बेहतर बना दिया है.
हेडमास्टर सुभाष सक्सेना बताते हैं कि स्कूल में पहले कम्प्यूटर भी नहीं था, इसलिए वो खुद का कम्प्यूटर स्कूल लाते थे और दस-दस बच्चों को कम्प्यूटर चलाना सिखाते थे. उन्होंने बताया कि इस अभियान के जरिए कोई उन्हें आर्थिक रूप से मदद करता है, तो कोई किताबें जैसी जरूरी चीजे मुहैया करा कर मदद करता है.