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Bhopal Gas Tragedy के पीड़ितों को मिलेगा एम्स में इलाज, गैस पीड़ित संगठनों ने सरकार से पूछा ये सवाल

भोपाल एम्स में अब गैस पीड़ितों को भी कैंसर का इलाज मिलेगा. इसके लिए चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने खाका तैयार किया है. लेकिन, दूसरी ओर गैस पीड़ित संगठन ने सवाल उठाया है कि जब एम्स में कैंसर के इलाज के लिए बेहतर डॉक्टर नहीं हैं, तो वहां इलाज कैसे होगा और अगर होगा तो उसका खर्च कौन उठायेगा, इसे भी स्पष्ट किया जाए. संगठनों का कहना है कि करीब साल भर पहले ही हाई कोर्ट ने भोपाल एम्स में गैस पीड़ितों के इलाज के लिए था, तो मंत्री जी वही बात क्यों दोहरा रहे हैं. (AIIMS Bhopal)(Bhopal gas tragedy)(gas tragedy victims will get treatment in AIIMS)

AIIMS Bhopal
भोपाल एम्स

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Published : Nov 2, 2022, 9:27 PM IST

भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी के दौरान प्रभावित हुए गैस पीड़ितों में कई ऐसे हैं जो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से जूझ रहे हैं. इनके इलाज के लिए गैस राहत विभाग ने एम्स से समझौता करते हुए इन मरीजों को इलाज दिलाने की तैयारी की है. इसके लिए चिकित्सा शिक्षा एवं गैस राहत मंत्री विश्वास सारंग ने एम्स के अधिकारियों के साथ मिलकर एक खाका तैयार किया है, जिसमें कैंसर की बीमारी से जूझ रहे गैस पीड़ितों का इलाज एम्स में हो पाएगा. मंत्री विश्वास कैलाश सारंग के अनुसार गैस पीड़ितों के कैंसर से ग्रसित होने पर ये निर्णय लिया गया है कि भोपाल के नीजी अस्पतालों के साथ अब एम्स में भी कैंसर से ग्रसित गैस पीड़ितों का इलाज कराया जायेगा.

चिकित्सा शिक्षा एवं गैस राहत मंत्री विश्वास सारंग

गैस पीड़ित संगठनों ने पूछा AIIMS में इलाज का खर्च कौन उठायेगा:इधर, गैस पीड़ित संगठनों ने इस पहल को हाईकोर्ट द्वारा निर्देशित पहल ही बताया है. गैस पीड़ित संगठन की रचना ढींगरा के अनुसार ये निर्णय मंत्री जी ने नहीं बल्कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 16 सितंबर 2021 को ही ले लिया था, पर एक साल बीत जाने के बाद भी किसी गैस पीड़ित को कैंसर का मुफ्त इलाज AIIMS में आज तक नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि मंत्री जी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या गैस राहत विभाग गैस पीड़ितों के मुफ्त इलाज के लिए AIIMS को पैसे मुहैया कराएगा कि नहीं, क्योंकि AIIMS में कैंसर का इलाज़ मुफ्त नहीं होता. आज सैकड़ों गैस पीड़ित कैंसर के इलाज के लिए भटक रहे हैं, क्योंकि विभाग ने तय कर लिया है कि गैस पीड़ितो के कैंसर का इलाज सिर्फ आयुष्मान कार्ड से ही करेंगे और जो सुविधाएं आयुष्मान में कवर नहीं होतीं या जो गैस पीड़ित आयुष्मान के पात्र नहीं हैं वो दर दर की ठोकरें खा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने गैस पीड़ितों के इलाज के अधिकार को उनके जीने के अधिकार से जोड़ा है, इसलिए गैस राहत विभाग का यह फर्ज है कि सभी गैस पीड़ितों को मुफ्त इलाज दिलवाए और उन्हें आयुष्मान के चक्र में न फंसाये.

रचना ढींगरा

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1984 में हुई थी भोपाल गैस त्रासदी:साल 1984 में भोपाल में 2 और 3 दिसंबर की दरमियानी रात को यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनाड गैस का रिसाव हुआ था जिसमें हजारों लोगों की मौत हो गई थी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार गैस प्रभावित 10,000 से अधिक लोग कैंसर रोग से ग्रसित थे, जिनमें से आज भी 3 से 3.50 हजार गैस पीड़ित कैंसर रोग को झेल रहे हैं और बाकी कई लोग काल के गाल में समा चुके हैं.

कई गैस पीड़ितों के पास आयुष्मान कार्ड नहीं है:भोपाल में गैस पीड़ितों के लिए भोपाल मेमोरियल अस्पताल और गैस राहत अस्पताल है, जहां गैस पीड़ितों का इलाज होता है. लेकिन, डॉक्टरों की कमी के चलते अस्पतालों में कई विभाग बंद हो चुके हैं और मरीज प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए भटक रहे हैं. इसके बाद प्रदेश सरकार ने इन्हें आयुष्मान योजना से जोड़ दिया, लेकिन उसके बाद भी कई लोग इलाज ना मिलने के कारण परेशान होते हुए नजर आए, जबकि कई गैस पीड़ितों के पास आयुष्मान कार्ड नहीं होने के चलते वे इलाज से वंचित हो रहे हैं. (AIIMS Bhopal)(Bhopal gas tragedy)(gas tragedy victims will get treatment in AIIMS)(Gas victim organization raised question)

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