भोपाल।कोरोना वायरस के संक्रमण से आम नागरिकों को सुरक्षित रखने की मुहिम जिस तरह पूरे देश में तेजी से चल रही है. उसी तरह जेलों में भी कैदियों की सुरक्षा को लेकर तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. एक ऐसा ही अनूठा प्रयास किया गया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सभी जेल प्रमुखों को आदेश जारी कर जेल में सुरक्षा संबंधी जवाब मांगे थे. जेल प्रबंधनों के जवाब के बाद अब माना जा रहा है कि, उम्रदराज बंदियों को पैरोल पर रिहा किया जा सकता है.
जेल में भी मंडरा रहा कोरोना का खतरा, उम्रदराज बंदियों को मिल सकती है रिहाई
कोरोना वायरस के चलते जेल में बंद उम्र दराज कैदियों को रिहा किया जा सकता है. अब जेल की हायर पावर कमेटी 26 मार्च को इस पर बैठक करने जा रही है. कमेटी में जस्टिस, पीएस और डीजी इस मुद्दे पर विचार करेंगे.
देश की अधिकतर जेलों में सजा काट रहे या विचारधीन बंदियों की संख्या क्षमता से अधिक है. बात अगर भोपाल सेन्ट्रल जेल की करें तो जेल में करीब एक हजार से ज्यादा बंदी हैं. इसके अलावा केंद्रीय जेल भोपाल में डेढ़ सौ से ज्यादा ऐसे बंदी हैं, जिनकी उम्र 60 साल और उससे ज्यादा है. यही हाल प्रदेश की अधिकतर जेलों में है. गौरतलब है कि कोरोना वायरस का संक्रमण का प्रभाव उम्रदराज बंदियों पर अधिक होता है. ऐसी स्थिति में उम्रदराज बंदियों की जान को खतरा हो सकता है. सूत्रों की माने तो हायर पावर कमेटी उम्रदराज बंदियों को पैरोल या जमानत पर रिहा करने का फैसला ले सकती है. हालांकि कमेटी की बैठक से पहले ये नहीं कहा जा सकता है कि वो उम्रदराज बंदी जिनका आचरण ठीक है उन्हें रिहा किया जाएगा या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च 2020 को आदेश जारी कर जेल प्रबंधकों से जवाब मांगा था. कुछ राज्यों की जेल ने जवाब देते हुए बंदियों की स्वास्थ्य सुरक्षा के बारे में जानकारी दी थी. अधिकतर जेलों ने आइसोलेशन वार्ड और बाहर से आने वाले बंदियों की स्क्रीनिंग समेत साफ-सफाई के बारे में जवाब दिया. अब सुप्रीम कोर्ट ने नया आदेश जारी करते हुए कहा है कि हायर पावर कमेटी अपने स्तर पर उन उम्रदराज बंदियों की लिस्ट तैयार करें, जिन्हें सात साल की सजा हो चुकी है या विचाराधीन है. अब जेल की हायर पावर कमेटी 26 मार्च को इस पर बैठक करने जा रही है. कमेटी में जस्टिस, पीएस और डीजी इस मुद्दे पर विचार करेंगे.