भिंड। कोरोना संक्रमण के दौरान स्वास्थ्य विभाग और कोविड ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को सरकार ने कोरोना योद्धा माना है. उन्हें सभी सुविधाएं और सम्मान के साथ ही कोरोना बीमारी से मौत होने पर परिवार को 50 लाख रुपये दिए जाने जैसी घोषणाएं की है. इन स्वास्थ्यकर्मियों के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है, जो अपनी जान जोखिम में डाल कर संक्रमितों की जान बचा रहे है. फीवर क्लीनिक से लेकर कोविड ICU तक में काम कर रहे हैं, लेकिन जिले में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसमें चंद कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही ने कोरोना योद्धाओं के काम पर सवालिया निशान खड़े कर दिए है.
स्वास्थ्यकर्मी खुद संदिग्ध मरीजों के सैंपल कलेक्ट नहीं कर रहे
एक ओर सरकार कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण करने के लिए ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग पर जोर दे रही है. अलग-अलग स्थानों और स्वास्थ्य केंद्रों को चिन्हित कर बाहर से आने वाले संदिग्ध लोगों का सैंपल लेकर जांच की जा रही है, लेकिन मेहगांव स्वास्थ्य केंद्र में टेस्टिंग को लेकर ETV भारत ने बड़ा खुलासा किया है. कुछ दिन पहले ही ईटीवी भारत को इस बात की जानकारी लगी थी कि मेहगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना जांच में बड़ी लापरवाही बरती जा रही है. स्वास्थ्यकर्मी खुद संदिग्ध मरीजों के सैंपल कलेक्ट नहीं कर रहे है, बल्कि मरीजों द्वारा ही अपना सैंपल दिया जा रहा है.
मेहगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इतनी बड़ी लापरवाही की जानकारी लगने पर ईटीवी भारत ने पूरे मामले की पड़ताल शुरू की. ऐसे लोगों को खोजने की कोशिश की गई, जो अपना सैंपल टेस्ट के लिए देकर आए हैं. कुछ लोगों ने मना किया, लेकिन कुछ लोगों ने इस पूरे मामले की हकीकत ईटीवी भारत से साझा की.
पप्पू परिहार ने बताई आपबीती
मेहगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पास रहने वाले पप्पू परिहार ने बताया कि 17 अप्रैल को उन्होंने केन्द्र पर पहुंचकर अपना पर्चा भरवाया, जिसके बाद वह टेस्टिंग एरिया में पहुंचे, जहां ड्यूटी पर तैनात स्वास्थ्यकर्मी द्वारा टेस्ट के सैंपल के लिए उपयोग होने वाली स्वाब स्टिक उनके हाथों में थमा दी गई. जैसे-तैसे उन्होंने सैंपल स्वास्थ्यकर्मी को दिया. हालांकि बाद में उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई.
वहीं सुनील नामक युवक ने बताया कि 15 अप्रैल को वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे थे, जहां रैपिड एंटीजेन टेस्ट कराने के लिए स्वास्थ्यकर्मी ने उन्हें स्वाब स्टिक सौंप दी थी. जैसे-तैसे सैंपल स्वास्थ्यकर्मी को दिया. रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर तुरंत RT-PCR का सैम्पल भी इसी तरह से स्वास्थ्यकर्मी को दिया गया. दो दिन पहले अपनी मां का टेस्ट कराने के लिए भी गया था. उस वक्त सैंपलिंग भी ठीक इसी तरह खुद करनी पड़ी.
मरीज खुद निकाल रहे अपना कोरोना सैंपल
इन लोगों से मिली जानकारी के आधार पर हमने अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाया. खुद अस्पताल में पहुंच कर सच्चाई का पता लगाने का फैसला किया. मेहगांव स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचने पर हमने पाया कि कोरोना सैंपल ठीक उसी तरह लिए जा रहे थे, जिस तरह से बताया गया था. ईटीवी भारत ने तत्काल उन तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद कर लिया, जिसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि किस तरह अपनी माता की कोरोना जांच कराने आए एक युवक को स्वास्थ्यकर्मी ने स्वाब स्टिक दे दिया, जिसे युवक ने अपनी मां को दे दिया. उन्होंने अपने गले से सैम्पल कलेक्ट कर वापस ड्यूटी पर मौजूद स्वास्थ्यकर्मी को सौंप दिया.
सिर्फ जांच केंद्र पर निगरानी रखने का ही काम नहीं- बीएमओ
अस्पताल परिसर में ही मौजूद जांच केंद्र पर इतनी बड़ी लापरवाही सामने आने के बाद जब इस संबंध में हमने मेहगांव बीएमओ डॉक्टर शोभाराम शर्मा से सवाल किया, तो उनका कहना था कि उनकी जानकारी में ऐसा कोई भी मामला नहीं है. यहां सैंपल स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा ही लिए जा रहे हैं. हमने जब उनसे कहा कि हमारे पास तस्वीरें हैं. इस पर डॉक्टर शर्मा ने कहा कि वह ब्लॉक लेवल ऑफिसर हैं. उनके पास सिर्फ जांच केंद्र पर निगरानी रखने का ही काम नहीं है. अन्य काम भी उन्हें ही देखने होते हैं. इतना कहने के बाद वह मौके से निकल गए. वहीं मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर अजीत मिश्रा ने इस पूरे मामले को लेकर कहा कि जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जायेगी.
टेस्टिंग से डर रहे लोग
कोरोना से निपटने के लिए सीएम शिवराज सिंह ने भिंड जिले की जिम्मेदारी मंत्री ओपीएस भदौरिया को सौंपी है. उनसे भी बात की गई. उन्होंने पहले तो मामला टालते हुए कहा कि इसकी जानकारी लेंगे, निश्चित कार्रवाई करेंगे. साथ ही कहा की वे देख रहे है कि हमारे क्षेत्र के लोग कोविड टेस्ट कराने में डर रहे हैं. इस परेशानी को दूर करने के लिए कुछ अहम बिंदुओं पर चर्चा करेंगे. कुछ और फीवर क्लीनिक खोले जाएंगे. जांच आने में समय लगता है. इसलिए प्राथमिक तौर पर उनका घर पर ही इलाज शुरू कराने की व्यवस्था भी की जा रही है.
लापरवाही पर होगी कड़ी कार्रवाई
जब हमने पूछा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से बड़ी लापरवाही सामने आई है. इस पर मंत्री भदौरिया ने कहा वह मामले की जानकारी लेंगे कि आखिर हकीकत क्या है ?. और फिर कड़ी कार्रवाई करेंगे.
एमपी आयरन प्लांट को शुरू करने पर विचार कर रही सरकार
मालनपुर इंडस्ट्रीयल एरिया में स्थित एमपी आयरन फैक्ट्री 40 साल से बंद पड़ा हुआ है. यह प्लांट करीब 90 टन ऑक्सीजन हर रोज बना सकता है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने खबर भी प्रकाशित की थी, जिसके बाद सरकार के नुमाइंदे लगातार आयरन फैक्ट्री का दौरा कर रहे है. हाल ही में मंत्री ओपीएस भदौरिया ने भी इसका दौरा किया था. जब इस संबंध में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि सरकार इसे शुरू करने पर विचार कर रही है. सीएम शिवराज सिंह से इसको लेकर चर्चा की है. मुख्यमंत्री लगातार ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए प्रयास कर रहे हैं.
मंत्री ओपीएस भदौरिया से बात नहीं होगी ऑक्सीजन की कमी
मंत्री ओपीएस भदौरिया ने इस बात की भी जानकारी दी कि भिंड में ऑक्सीजन सप्लाई के लिए सूर्या रोशनी ने 200 सिलेंडर प्रतिदिन सप्लाई करने की पेशकश की है. साथ ही कुछ और इंडस्ट्रीज भी आगे आई है. इसकी वजह से जिले में कोई परेशानी ऑक्सीजन को लेकर नहीं होगी.