भिंड। राज्य में एक ओर जहां किसान यूरिया खाद को लेकर पेरशान हैं वहीं दूसरी तरफ भिंड में यूरिया की कालाबाजी चरम पर है. ईटीवी भारत ने एक स्टिंग कर भिंड में चल रही यूरिया की कालाबाजारी का खुलासा किया है. सहकारी खरीदी केंद्र से महज 150 मीटर की दूरी पर लाइसेंसधारी खाद्य बीज की दुकानों पर कालाबाजारी धड़ल्लले से चल रही है. सरकारी समिति के अधिकारी, किसानों को निजी दुकानों से यूरिया लेने का दबाव बना रहे हैं.
यूरिया की कालाबाजारी का ईटीवी भारत ने किया खुलासा हैरानी की बात है कि कालाबाजी का ये पूरा खेल जिला विपणन अधिकारी की नाक के नीचे यानी कार्यालय से महज 150 मीटर की दूरी पर चल रहा है. बावजूद इसके दुकानदारों पर कोई कार्यवाई नहीं हो रही और अधिकारी विभागीय कार्य क्षेत्र का हवाला देकर टालमटोल कर रहे हैं.
मंडी परिसर में मौजूद निजी दुकान पर किसान बनकर पहुंचे हमारे संवाददाता ने दुकान पर मौजूद कर्मचारी से बातचीत की और कालाबाजारी के इस काले खेले का सच जाना. दुकानदार ने बताया कि एक बोरी 340 रुपए में मिलेगी, जबकि सरकारी रेट महज 266 रूपये है. दुकानदार ने कहा कि जितनी बोरी चाहिए मिल जाएगी.
सांठगांठ के चलते चल रहा खेल!
आरोप है कि सरकारी अधिकारियों की सांठगांठ के चलते ये पूरा खेल चल रहा है. खरीदी केंद्रों पर वैसे तो 10 हजार बोरी का स्टाक है, लेकिन किसानों के बीच खरीदी केंद्रों पर मोटा यूरिया मिलने की भ्रांति फैला दी गई है, जबकि फसल के लिए बारीक दाने वाला यूरिया कारगर साबित होता है. इसलिए मजबूरन किसान ज्यादा रकम देकर दलालों के चक्कर में फंस रहे हैं.
कलेक्टर ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
किसान नेता संजीव बरुआ का आरोप है कि इसकी शिकायत करने के बाद भी कार्रवाई नहीं होती. ये पूरा खेल मिलीभगत से चल रहा और किसान परेशान हो रहे हैं. यूरिया की कालाबाजारी पर अधिकारियों के रवैए और किसानों की परेशानी को लेकर भिंड कलेक्टर ने जांच के बाद गड़बड़ी पाए जाने पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
कब लगेगा अंकुश?
एक तो ओलावृष्टि ने किसाानों की फसल बर्बाद कर दी और ऊपर से नई फसल के लिए किसानों को यूरिया नहीं मिल रहा..वहीं इस पर सियासत भी चरम पर है.. और कालाबाजारी तो पूछिए मत...अब सवाल ये है कि क्या अन्नतादाता यूं ही परेशान होता रहेगा. या फिर सियासदान इस कालाबाजारी के खेल पर अंकुश लगाएंगे..