भिंड। मध्यप्रदेश के चंबल अंचल में इन दिनों जेसीबी मशीन से सब्ज़ी तैयार की जा रही है. सीमेंट मिक्सर से मालपुए बनाए जा रहे हैं. वहीं ट्रैक्टर ट्रॉली में भरकर खीर परोसी जा रही है. ये अनोखा नजारा भिंड के दंदरौआ धाम पर देखने को मिल रहा है. जहां प्रख्यात कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा शिव कथा सुना रहे हैं. चंबल का ये अनौखा भंडारा आखिर क्यों चर्चा में,जानते हैं ETV भारत की इस खास रिपोर्ट में....
भागवत कथा ये शब्द सुनते ही जिस बात का सबसे पहले ख्याल आता है, वह होता है भीड़ और भंडारा. अमूमन जब कहीं कोई धार्मिक आयोजन होता है, सैकड़ों हजारों श्रद्धालु प्रसादी के लिए जाते हैं. इनके लिए हलवाई भंडारा तैयार कर रहे होते हैं. सोचिए अगर किसी जगह सैकड़ों या हजारों नहीं बल्कि लाखों की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हो तो, वहां भंडारे की व्यवस्था कैसी होगी?
इसी भीड़ का नजारा इन दिनों चंबल अंचल में देखने को मिल रहा है, जहां भिंड जिले के ऐतिहासिक दंदरौआ धाम मंदिर का वार्षिकोत्सव मनाया जा रहा है. इसमें देश के प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा शिव महापुराण सुना रहे हैं. उन्हें सुनने के लिए प्रतिदिन एक से सवा लाख श्रद्धालु दंदरौआ धाम मंदिर पहुंच रहे हैं.
सात दिन में बन रहा 15लाख श्रद्धालुओं का भंडारा:दो दिसंबर तक पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा आयोजित की जाएगी. ऐसे में प्रतिदिन पहुंच रहे श्रद्धालुओं के लिए भंडारे की व्यवस्था भी युद्धस्तर पर संभाली जा रही है. दंदरौआ धाम में भंडारे की मेगा किचिन दिन रात काम कर रही है. यहां चलने वाला भंडारा सुबह 9 बजे रात 12 बजे तक निरन्तर श्रद्धालुओं को भोजन करा रहा है.
इस रसोई का जिम्मा सम्भाल रहे हलवाई रूप सिंह का कहना- 'इस बार भीड़ की तदाद काफ़ी है. 7 दिन के भंडारे के लिए दंदरौआ धाम प्रबंधन ने 15 लाख लोगों के भोजन की व्यवस्था की है. प्रतिदिन करीब डेढ़ से दो लाख लोग यहां प्रसादी पा रहे हैं. बुधवार को करीब 2 लाख लोगों का भोजन बनाया गया था. गुरुवार को इससे ज्यादा श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण के साथ साथ भंडारे का लुत्फ उठाया है.
हर दिन तैयार हो रही 18-20 टन सब्जी:रूप हलवाई के मुताबिक हर रोज लगभग 18 से 20 टन आलू की घोंटा सब्ज़ी बनाई जा रही है. बुधवार को लगभग 10 हजार किलो दूध की खीर भंडारे के लिए तैयार की गई थी. वहीं, 70 से 80 क्विंटल आटे की पूड़ियां तैयार की गई थीं. गुरुवार को इसका आंकड़ा नहीं निकाला गया, क्योंकि भंडारा लगातार चलता रहा. इस काम को ठीक तरह से पूरा करने के लिए करीब 400 लोगों की लेबर लगी हुई है. जो भंडारा पकाने से लेकर उसके रखरखाव तक की व्यवस्था संभल रहे हैं.
एक बार में बनता है 32 क्विंटल आलू :जब इतनी बड़ी तदाद में भंडारा तैयार होगा, तो इसके लिए बर्तन भी उतने ही बड़े चाहिए, तो भंडारे की सब्ज़ी तैयार करने के लिए दंदरौआ धाम में दो बड़ी कढ़ाई का इस्तेमाल किया जा रहा है. दंदरौआ धाम के महंत महामंडलेश्वर श्री रामदास महाराज ने बताया कि भंडारे के लिए उपयोग होने वाली कढ़ाई काफी बड़ी हैं. इनमे से बड़ी कढ़ाई में क़रीब 50 मन यानी 20 क्विंटल आलू और छोटी कढ़ाई में 30 मन यानी करीब 12 क्विंटल आलू एक बार में पकाया जाता है.
देसी घी से कराई जा रही JCB की ग्रीसिंग:इतनी सब्ज़ी एक साथ बनाने पर इसे सामान्य रूप से नहीं निकाला जा सकता है. ऐसे में इसके लिए विशेष रूप से तैयार कराई गई जेसीबी मशीन का उपयोग किया जा रहा है. इस जेसीबी को उपयोग में लाने से पहले श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य और धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सामान्य आयल और ग्रीस को हटाकर साफ करने के बाद शुद्ध देसी घी से इसकी ग्रीसिंग कराई गई है.