भिंड।देशभर में केंद्र सरकार के कृषि कानूनों में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर चल रहे विरोध के उलट भिंड के एक छोटे से गांव दुल्हागन के किसान विष्णु शर्मा ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिये ही खेती को लाभ का धंधा बना लिया है. वैसे तो विष्णु शर्मा सालों से अपने गांव में ही खेती करते कर रहे थे लेकिन अपने बेटों की सलाह और मदद से 3 साल में न सिर्फ खेती को बढ़ाया बल्कि मुनाफा भी तीन गुना कर लिया है.
किसान विष्णु शर्मा के बेटे संदीप ने बताया कि तीन साल पहले ही उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर अलग तरह की खेती का विचार बनाया. आमतौर पर सभी जगहों पर पारंपरिक खेती किसानों का मुख्य उद्देश्य होती है. उनके गांव में भी पारंपरिक रूप से सरसों की फसल होती है. लेकिन कटाई के बाद अगले 9 माह तक उनके खेत खाली पड़े रहते थे. जिसकी वजह से उन्हें नुकसान तो होता ही था. यहां तक की कई बार तो लागत भी नहीं निकल पाती थी. उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर फैसला किया कि वह अपने खेतों में एक पारंपरिक खेती की बजाय चार फसलें लगाएंगे. जिससे दो फसलों से लागत का पैसा वसूल करेंगे और बाकी दो से मुनाफा.
रिसर्च कर पारम्परिक खेती में फलों को किया शामिल
साल 2017 में उन्होंने पिता के साथ गांव में ही 75 बीघा खेत खरीदा और उसकी लेबलिंग कराई. कृषि विशेषज्ञों से मुलाकात कर, इंटरनेट पर वीडियो देख कर, अन्य जिलों में जानकर किसानों से मिलकर उन्होंने खेती की बारीकियों को समझा. इसके बाद सरसों के साथ प्रेक्टिकल के तौर पर अमरूद की रुपाई की. अगले साल उन्होंने पपीता, अनार, आंवला की पौध भी तैयार की. आज उनके फार्म पर अमरूद के 250 से ज्यादा पेड़ हैं. 250 से ज्यादा उच्च क्वालिटी के चिली और रेडचिली पपीते के पेड़ लगे हैं. अनार, आंवला के अलावा सागौन, शीशम, पापुलर, की खेती भी की जा रही है. साथ ही एक बड़ा रकबा जमीन उन्होंने पूरे तरह आर्गेनिक खेती के लिए भी समर्पित कर दिया है. जिसमे कैमिकल रहित आर्गेनिक खाद का ही उपयोग फसलों में किया जा रहा है. जिसमे सरसों, उच्च क़्वालिटी चुकंदर, लहसन की फसल उगाई है.
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किसान कर रहे दोगुनी कमाई
उत्तरप्रदेश के व्यापारी से बना 'भरोसे का अनुबंध'
फसल तैयार करना अपने आप में चुनौती भरा सफर रहा था. लेकिन अब तैयार फसल को बेचना और भी परेशानी भरा था. इसके लिए विष्णु के बेटे संदीप ने कानपुर उत्तरप्रदेश में जाकर फल व्यापारियों से मुलाकात की. जहां एक व्यापारी ने उन्हें ऑफर दिया कि वह खुद फसल देखेगा अगर फल अच्छा होगा तो वह बाजार भाव से ज्यादा कीमत में खरीदेगा. संदीप ने बताया कि वह व्यापारी कुछ दिन बाद आया और फसल देख कर खरीद ली. यहां तक कि खुद व्यापारी ने अपने लोगों को लाकर पेड़ से फल उतारे और वजन के हिसाब से पैसा चुकाया. इस तरह विष्णु शर्मा को कच्ची फसल का पैसा मिल गया. एक खरीद ने दोनों के बीच भरोसे का कांटेक्ट बना दिया. उसकी मांग पर विष्णु शर्मा ने पपीते की फसल भी अच्छी पौध लाकर लगाई. जिसका भी उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हुआ और अब हर साल विष्णु शर्मा से पपीते और अमरूद की फसल वही व्यापारी खरीदता है.
नामी ब्रांड्स ने भी दिया फसल खरीदने का प्रस्ताव
विष्णु शर्मा के बेटे संदीप शर्मा ने बताया कि अच्छी फसलों की पैदावार होने से उनका नाम आगे बढ़ा तो पतंजलि, बैद्यनाथ और बिग बाजार जैसे बड़े ब्रांड ने भी उनसे संपर्क किया था. उन्होंने बताया कि पतंजलि ने उन्हें अपने खेतों में जड़ी बूटियां जिनमें एलोवेरा, तुलसी और सफेद मूसली उगाने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन वे चाहते थे इसकी पैदावार व्यापक तौर पर करें जिसके लिए उन्हें 2 से 5 साल के अनुबंध में रहना होगा और पूरा सेटअप भी कंपनी द्वारा लगये जाने की बात कही गयी थी. संदीप के मुताबिक उन्होंने यह प्रस्ताव इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि इस अनुबंध में वे किसी और फसल पर ध्यान नहीं दे पाते. हालांकि उनका मानना है कि अब अगर दोबारा कंपनी सहमत होती है तो वे इस ऑफर को स्वीकार कर लेंगे. वहीं बैद्यनाथ कंपनी द्वारा भी तुलसी और एलोवेरा की मांग की गई थी. लेकिन जो रेट कंपनी द्वारा लगाया गया वह काफी कम था. इसके अलावा बिग बाजार ने उनसे ऑर्गेनिक और अच्छी क्वालिटी के चुकंदर की फसल खरीदने का प्रस्ताव दिया है. जिसके लिए अभी सैंपल तैयार किया जा रहा है. यदि तैयार किया गया चुकंदर उनके मापदंड पर खरा उतरता है तो भविष्य में वे बिग बाजार के साथ अनुबंध करेंगे.