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साल 2019 के 'जलप्रलय' से ली सीख, बाढ़ से निपटने के लिए पहले से तैयारी, भिंड प्रशासन ने दुरुस्त की व्यवस्था

साल 2019 में भिंड के अटेर और रौन क्षेत्र में जो जलप्रलय आया था, उससे प्रशासन ने काफी सीख ली है. हर साल मानसून के सक्रिय होने से पहले ही प्रशासन अपनी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर लेता है. इस बार प्रशासन ने क्या खास तैयारियां की हैं. यह जानने के लिए हमारी रिपोर्ट पढ़िए.

preparations for flood in nearby places of chambal river
साल 2019 के 'जलप्रलय' से ली सीख

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Published : Jul 28, 2021, 10:44 PM IST

भिंड।जिले के अटेर और रौन क्षेत्र में साल 2019 में जो जलप्रलय आया था, उसका हर कोई साक्षी रहा. बारिश में चंबल नदी के ऊफान पर आने से नदी के आसपास के इलाकों में भयावह स्थिति बन जाती है. साल 2019 की घटना से सीख लेकर भिंड जिला प्रशासन हर साल बारिश से पहले ही तमाम तैयारियां शुरू कर देता है. मौसम वैज्ञानिकों की मानें, तो इस साल भी जोरदार बारिश की संभावना है. जिले में मानसून को लेकर अलर्ट भी जारी कर दिया गया है. दूसरी तरफ से आपदा से निपटने के लिए पहले ही प्रशासन ने कमर कस ली है. इस बार प्रशासन की तरफ क्या खास तैयारियां की गई हैं, जानने के लिए यह रिपोर्ट पढ़िए...

साल 2019 के 'जलप्रलय' से ली सीख

साल 2019 के खौफनाक मंजर से ली सीख

साल 2019 में भिंड के अटेर में आई बाढ़ का खौफ आज भी लोगों के जहन में हैं. उस समय चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान से काफी ऊपर था. अटेर के करीब डेढ़ दर्जन गांव डूब प्रभावित थे. प्रशासन लगातार गांव के गांव खाली करवा रहा था, लेकिन चंबल के लगातार बढ़ते जलस्तर से कई गांवों का संपर्क टूट गया. पहले होमगार्ड जवानों की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा था, लेकिन थोड़ी देर बाद ही हालात बेकाबू हो गए, फिर NDRF और आखिर में सेना तक को बुलाना पड़ा.

बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने के लिए करीब 1 हफ्ते तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. इस दौरान लोगों का जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुका था. लेकिन सही समय पर मदद मिल जाने से कोई जनहानि नहीं हुई, 1 हजार परिवारों को सुरक्षित बचा भी लिया गया था. इसी खौफनाक मंजर के बाद प्रशासन ने सीख ली.

मानसून आते ही प्रशासन सतर्क

मानसून की दस्तक के साथ ही भिंड प्रशासन ने बाढ़ आपदा प्रबंधन का काम शुरू कर दिया है. आपदा प्रबंधन की बैठक में रणनीति बनाई जा रही है. प्रशासन ने अभी से कंट्रोल रूम बनाने की तैयारी भी कर ली है. होमगार्ड जवानों को भी इस संकट से निपटने के लिए तैयार किया जा रहा है. कलेक्टर-एसपी भी क्षेत्र का दौरा कर लोगों को अलर्ट कर चुके हैं.

इसके अलावा SDM और CMO को निर्देशित किया गया है कि यदि रिलीफ कैंप लगाए गए तो उनके लिए समुचित व्यवस्था पहले से बना कर रखें. होमगार्ड और SDRF केंद्रों का भी एसपी और कलेक्टर ने निरीक्षण किया. जहां उन्होंने जरूरत के टूल्स और इक्विप्मेंट की जानकारी ली. कोई भी कमी होने पर खरीदारी के लिए व्यवस्था बनाने के भी निर्देश दिए गए हैं.

बारिश से ज्यादा कोटा बेराज डैम से खतरा

अटेर क्षेत्र में बाढ़ की सबसे बड़ी वजह चंबल नदी का जलस्तर बढ़ना है. राजस्थान के कोटा बैराज से चंबल में पानी छोड़ा जाता है, जिससे जलस्तर काफी बढ़ जाता है. पिछली बार बाढ़ आने की यही वजह थी. बैराज डैम से पानी छोड़े जाने पर चंबल नदी किनारे बसे इलाकों में तबाही का मंजर देखने को मिला था. इस बार ऐसी स्थिति ना बने इसके लिए इरिगेशन विभाग से बातचीत की गई है. विभाग को कोटा बैराज से कम्यूनिकेशन बना रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

बाढ़ से निपटने के लिए प्रशासन तैयार

वर्तमान में बाढ़ की स्थिति पर प्रशासन राहत और बचाव कार्य के लिए बोट का सहारा लेगा. जिसके लिए जिले में दो फाइबर बोट और एक रबर बोट रिजर्व है. साथ ही वन विभाग चम्बल सेंचुरी की भी एक बोट का इंतजाम करके रखा है. भिंड कलेक्टर का कहना है कि हमारे पास अभी बजट उपलब्ध है यदि जरूरत लगती है तो अभी हम अगली बैठक में बोट खरीदने पर भी विचार करेंगे.

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अंधेरे में भी कर सकेंगे सर्चिंग

बाढ़ के दौरान राहत और बचाव कार्य में अंधेरा एक बड़ी समस्या है. इससे निपटने के लिए जिला प्रशासन ने पुलिस प्रशासन की मदद ली है. भिंड जिला रिजर्व पुलिस बल के पास 10 लाइट हैं, इसके साथ ही 3 लाइट एसडीआरएफ के पास भी रखी हुई हैं. जरूरत के अनुसार इनका उपयोग चंबल से लगे क्षेत्रों में किया जा सकेगा. इन लाइट्स की खासियत यह है कि इनकी तीव्रता इतनी ज्यादा है कि एक लाइट 2 से 3 एकड़ क्षेत्र को रोशनी से कवर कर सकती है. ऐसे में यदि बाढ़ के हालत बनते हैं तो ये लाइट बचाव कार्य में मददगार साबित होगी.

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