भिंड।मछंड गांव जिला मुख्यालय भिंड से करीब 58 किलोमीटर दूर है, इस गांव में करीब 10 हजार की आबादी है. कोरोना संक्रमण भिंड के ग्रामीण इलाकों में भी अपनी दस्तक दे चुका है, लेकिन इस गांव में रहने वाले लोगों को कोरोना संक्रमण फैलने की कोई परवाह नहीं है. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण करने को लेकर कई दावे कर रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि प्रशासन के लिए अब ग्रामीण इलाकों में कोरोना कर्फ्यू के नियमों का पालन करवाना मुश्किल हो रहा है.
- मछंड गांंव में संक्रमण की स्थिति को लेकर क्या कहते हैं स्थानीय
मछंड (भिंड) गांव में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं कुछ सही नहीं हैं, बावजूद इसके यहां के ग्रामीण कोरोना के नियमों का पालन तक नहीं कर रहे हैं. लोग गांव में चौपालें बना के बैठे नजर आ रहे हैं. बीमार होने पर कोरोना संकमण की जांंच कराने नहीं जाते. मद्देनजर आंकड़े में कोरोना संक्रमण (corona virus) के मामले यहां कम हैं. मछंड गांव में रहने वाले उदयवीर सिंह गांव में कोरोना के हालत को लेकर कहते हैं कि गांव के लगभग हर घर में लोग बीमार हैं, लेकिन वे यह मानने को तैयार नहीं की किसी को गांव में कोरोना संक्रमण हो सकता है. जो लोग बीमार होते हैं वह घेरलू उपचार लेकर ठीक हो जाते हैं. गांव में कोरोना टेस्ट के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है.
- पिछले 1 महीने में 27 लोगों की मौत
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान इस गांव में जान गवाने वाले लोगों की संख्या में तेजी बढ़ी है. गांव में कोरोना संक्रमण की जांच नहीं होने के कारण स्वास्थ्य विभाग इन सभी मौतों को सामान्य बता रहा है. जानकारी के मुताबिक, भिंड जिले में रोजाना 200 लोगों का अंतिम संस्कार हो रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा रोजाना 20 के आसपास होता है. वहीं, मछंड गांव के जयबीर सिंह के मुताबिक, पिछले एक महीने में गांव में 27 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि पिछले वर्षों में गांव में यह आंकड़ा 5-7 मौतें प्रति महीना रहता था. जयबीर सिंह बताते हैं कि इस महीने हुई मौतों में ज्यादातर बुखार और कोरोना से मिलते-जुलते लक्षणों से हुई है, लेकिन जांच न होने की वजह से किसी का यह पुष्टि नहीं हो सकी है कि लोग संक्रमण से मरे हैं या किसी अन्य कारणों से.
- दूसरे राज्यों से गांव में आए कई प्रवासी
मछंड गांव के 65 वर्षीय प्रेम शंकर इलाके के हालातों को लेकर कहते हैं कि गांव में कर्फ्यू के दौरान कई लोग अन्य राज्यों से भी आए हैं, कुछ लोग खुलेआम तो कुछ चोरी छिपे गांव में आए हैं, उन्होंने कहा कि ग्राम में बीमार लोगों की स्थिति जानने के लिए सचिव द्वारा घर-घर सर्वे भी किया जाता है. गांव को अभी तक सैनिटाइज नहीं किया गया है.