बैतूल।16 जुलाई को विश्व सर्प दिवस मनाया जाता है इसलिए आज हम बात करेंगे सांपो के बारे में. ज्यादातर लोग सांपों को लेकर कम जानकारी रखते हैं खासकर गांवों में लोग सर्पदंश पर झाड़-फूक का सहारा लेते हैं. एमपी केसारनी में 25 से अधिक प्रजाति के सांप पाए जाते हैं देश में सफेद कोबरा भी सबसे पहले सारनी में ही मिला था. जिले का सारनी शहर सतपुड़ा मेलघाट टाइगर कॉरिडोर से लगा हुआ हैं. चारों तरफ से सतपुड़ा के घने जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ है. जिस वजह से यहां समृद्ध जैव विविधता मौजूद हैं.
सारनी निवासी पर्यावरणविद् व सांपों के संरक्षण का कार्य कर रहें आदिल खान बताते हैं कि उनके माध्यम से बैतूल जिले की सारनी रेंज में अब तक 22 प्रजाति के सांपों का रेस्क्यू किया गया है एवं तीन अन्य प्रजातियों के सांप उन्हें जंगल में मिले हैं. जिसमें ग्रीन वाइन स्नेक, एरो हेडेड ट्रींकेट स्नेक एवं एलियट्स शिल्ड टेल्ड स्नेक शामिल हैं.
25 से अधिक प्रजाति में से सिर्फ 4 विषैले:विश्व सर्प दिवस के मौके पर आदिल ने जानकारी देते हुए बताया कि "बैतूल जिले में चार विषैले सांप मौजूद हैं. जिसमें कोबरा, सॉ-स्केल्ड वाइपर, रसेल्स वाइपर एवं करैत सांप शामिल हैं एवं विषैले सांपों में बेंबू पिट वाइपर सांप भी शामिल है जो अमूमन बैतूल के घने जंगलों में ही मिलता हैं. कम विषैले सांपों में केट स्नेक, फॉर्सटन केट स्नेक, ग्रीन वाइन स्नेक इत्यादि शामिल हैं. इसके सिवा विषहीन सांपों में धामन, ब्रोंज बेक ट्री स्नेक(उड़ने वाला सांप), अजगर, पानी वाला सांप इत्यादि शामिल हैं. देश में सबसे पहले सारनी में दुर्लभ प्रजाति का सफेद कोबरा सांप मिला था. कम लंबाई का यह सांप बेहद जहरीले सांपों की श्रेणी में आता है. इसकी लंबाई करीब 9 इंच है. इस कोबरा सांप काे एल्बिनो (व्हाइट) कहते हैं. इस एल्बिनो को दुनिया के 10 सबसे दुर्लभ एनिमल्स में गिना जाता है."