बैतूल। घोड़ाडोंगरी के मलाजपुर गांव में हर साल की तरह इस साल भी हजारों लोग भूतों के मेले में शामिल होने पहुंचे हैं. इस मेले रुपी आयोजन के बारे में कहा जाता है कि यहां संत गुरु साहब बाबा की समाधि स्थल पर कथित तौर पर भूत प्रेतों से पीड़ित लोगों का झाड़ फूंक के जरिये इलाज हो जाता है और लोग भूतों से निजात पा लेते हैं. इस मेले में महिलाओं बच्चों और बुजुर्गों को ठीक करने के लिये झाडू से पीटा जाता है. हर साल आस्था और अंधविश्वास की बहस के बीच ये भूतों का मेला जारी है. इस साल कोरोना संक्रमण को देखते हुए यहां खास बंदोबस्त किए गए हैं.
भूतों को झाडू से पीटा जाता है
मलाजपुर गांव का गुरुसाहब बाबा का दरबार जहां महिलाओं को डायन, चुड़ैल, पिशाचिनी और पुरुषों को दैय्यत, जिन्नाद और ना जाने कितने ही शब्दों से पुकारा जाता है. बात यहीं खत्म नहीं होती, यहां लोगों के शरीर में कथित तौर पर मौजूद भूत-प्रेतों को निकालने के लिये पीड़ितों को बाल पकड़कर घसीटने से लेकर झाडू से पिटाई तक की जाती है. अगर आप भी जिंदा भूत प्रेत देखना चाहते हैं, तो बैतूल में कई रास्तों के जरिये आसानी से मलाजपुर गांव पहुंचा जा सकता है.
गुरु साहब बाबा की है समाधी
लोगों के मुताबिक इस दरबार का इतिहास 400 साल पुराना है और यहां संत गुरु साहब की समाधी है. जहां सदियों से भूत प्रेत उतारने का काम होते आ रहा है. वहीं गुरुसाहब बाबा के बारे में ये बताया जाता है कि वो राजस्थान से आए थे और फिर बैतूल के मलाजपुर में ही बस गए थे. यहां गुरु साहब बाबा ने अपनी चमत्कारी शक्तियों से भूत प्रेत से पीड़ित लोगों का इलाज शुरु किया. गुरु साहब के समाधी लेने के बाद भी यहां कथित भूत प्रेतों से पीड़ित लोगों का आना जारी है. यहां के प्रबन्धन का कहना है कि भूत कई तरह के होते हैं लेकिन इन्हें निकालने के लिये गुरु साहब बाबा की एक झाडू काफी है.