बड़वानी। तस्वीरों में दिखता ये मंदिर अपने आप में खास है, क्योंकि इसे इंसान नहीं स्वंय देवताओं ने बनाया था. मान्यता है कि देवताओं ने जब मां नर्मदा की परिक्रम शुरू की थी, उसी दौरान इस मंदिर का निर्माण भी किया था. यही वजह है कि इस मंदिर का नाम देवपथ महादोव रखा गया. पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने अन्य देवताओं के साथ यहां शिवलिंग की पूजा-अर्चना भी की थी.
बोधवाड़ा गांव में स्थित इस मंदिर का पौराणिक और धार्मिक महत्व भी है. स्कंदपुराण, शिवपुराण और नर्मदा पुराण में इस मंदिर का महत्व बताया गया है. मंदिर का वास्तु भी अनोखा है, जिसे अद्वितीय बताया जाता है. मंदिर श्री महायंत्र के रूप में निर्मित है, जबकि शिवलिंग के ऊपर गुम्बद के आकार वाला रुद्र यंत्र बना हुआ है.
मंदिर से जुड़ा एक रोचक तथ्य ये भी है कि मंदिर में स्थित अष्टकोण शिवलिंग 12 फीट ऊंचा है, जिसका 10 फीट हिस्सा भूमिगत है, जबकि दो फीट दिखायी देता है. कहते हैं कि महाशिवरात्रि के पर्व पर यहां जो भी भक्त गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
जानकार बताते हैं कि यहां महाशिवरात्रि पर विधि-विधान से एक गड्ढे में आटे को सूत में लपेटकर कपड़े से ढंककर कंडे की आग में रोट बनाया जाता है, जिसे सुबह लोगों को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है.पुरातत्व विभाग के अनुसार इस मंदिर को 12 वीं शताब्दी में बनाया गया था, जिसे मुगलों ने नष्ट करने का प्रयास भी किया. इसी वजह से मंदिर का बाहरी हिस्सा खंडित दिखायी देता है. भगवान भोलेनाथ के इस मंदिर में स्थानीय लोगों का तो तांता रहता है, लेकिन बाहरी लोगों को जानकारी नहीं होने से वह यहां तक नहीं पहुंच पाते.