बड़वानी। प्रदेश में भारी बारिश के बाद नर्मदा नदी पर बने बांधों से हजारों क्यूसेक पानी लगातार छोड़ा जा रहा है. सरदार सरोवर बांध को भरने की कयावद के चलते बांध के 23 में से 13 गेट बंद कर दिए हैं. जिससे नर्मदा का जलस्तर 134 मीटर से ऊपर है. 1 लाख 2 हजार 456 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. जिससे जिले में बाढ़ के हालात बन गए हैं. कई गांव जलमग्न हो गए हैं, तो कई टापू की तरह नजर आ रहे हैं. कई लोग बाढ़ के चलते सरकार द्वारा बनाए गए अस्थाई टिन शेडों में रहने के लिए मजबूर हैं. वहीं टापू बन चुके कुकरा सहित गांवों के रहवासियों सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक उनके साथ न्याय नहीं हो जाता, तब तक वह टापू पर ही रहेंगे. हमें डूबना मंजूर है, लेकिन यहां से हटना नहीं.
कुकरा गांव के ग्रामीणों के साथ बातचीत बता दें कि नर्मदा नदी पर बने बांध इंदिरा सागर के एक गेट से 75 क्युमेक्स और 8 मशीन से 1840 क्युमेक्स और ओंकारेश्वर बांध से एक गेट से 118 क्युमेक्स व 8 मशीन से 1920 क्युमेक्स पानी छोड़ा जा रहा है. जिससे क्षेत्र में बाढ़ के हालात निर्मित हो गए हैं. जिसके चलते जलमग्न हुए गांवों के लोगों को टीन शेडों में बसाया गया है, वहीं टापू बने गांवों के लोग आंदोलन की पर उतर आए हैं. लोगों का कहना है कि सरकार जब तक हमारी समस्याओं का समाधान नहीं करती, चाहे डूबकर मर जाएंगे, लेकिन यहां से हटेंगे नहीं.
इधर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री से लेकर अफसर तक सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं. जबकि इस तरह के हालात हमेशा नर्मदा के बढ़ते जलस्तर के साथ निर्मित होते रहते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने टापू बन चुके गांव कुकरा के 17 डूब प्रभावित परिवारों से मुलाकात की, तो उन्होंने अपना दर्द बया करते हुए बताया कि हम लोग बिना बिजली अपने परिवार के साथ भय के साये में जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं.
एक ओर मंत्री के आदेश पर समिति बनाकर समस्याओं का निराकरण करने के आदेश दिए हैं. वहीं भूअर्जन व पुनर्वास अधिकारी के अनुसार सबका पुनर्वास होकर स्थिति शून्य है, तो फिर हक व मुआवजे की मांग कर रहे लोग कौन हैं, जो डूबने को तैयार बैठे हैं. यह लोग अधिकारियों पर सीधा आरोप लगाते हुए कहते हैं कि क्षेत्र में अपात्रों को डूब प्रभावितों का हक बांटा गया है. पिछली पुनर्वास नीति में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है. अपात्रों को लाभ दिया गया है.
ग्रामीणों ने बताया कि 2017 में भी तत्कालीन कलेक्टर ने सर्वे करवाया था, जिसमें कई आपात्रों को लाभ दिया और पात्र छूट गए हैं. टापू पर रह रहे हैं मवेशियों के लिए चारे की व्यवस्था पिछले साल से बंद कर दी गई. इसी तरह टीन शेड में रह रहे लोगों का जीवन भी नारकीय है, जहां पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. वहीं बिजली का बिल 6 लाख रुपए बकाया होने पर बिजली काट दी गई थी. ऐसे में उन्हें अंधेरे में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है.