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घटिया चावल देने वाले राइस मिल-गोदाम सील, गुणवत्ता नियंत्रकों की सेवाएं समाप्त

घटिया व गुणवत्ताहीन चावल प्रदान करने के मामले में प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए बालाघाट की 3 राइस मिलों और उनके गोदामों को सील कर दिया है. साथ ही कुछ अधिकारी भी निलंबित किए गए हैं.

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घटिया चावल देने वाली राइस मिलों और गोदाम को किया गया सील

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Published : Sep 3, 2020, 11:28 AM IST

बालाघाट। सरकार से कस्टम मीलिंग के लिए ली गई धान के बदले घटिया व गुणवत्ताहीन चावल प्रदान करने के मामले में प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए वारासिवनी अनुविभाग की 3 राइस मिलों और उनके गोदामों को सील कर दिया है. वहीं 10 राइस मिल व गोदामों को सील करने की कार्रवाई की जाएगी. अनुविभागीय अधिकारी राजस्व संदीप सिंह ने बताया कि कलेक्टर बालाघाट ने वारासिवनी अनुविभाग की कस्टम मीलिंग के लिए अनुबंधित राइस मिलों, जिनके द्वारा गुणवत्ताहीन चावल बांटे गए हैं, उनको सील करने के लिए 3 टीमों का गठन किया है. जिनमें डिप्टी कलेक्टर आयुषी जैन के नेतृत्व वाली टीम खैरलांजी, केसी बोपचे के नेतृत्व वाली टीम लालबर्रा एवं एसडीएम संदीप सिंह के नेतृत्व वाली टीम वारासिवनी की राइस मिलों को सील करने की कार्रवाई की है.

संदीप सिंह, एसडीएम

केंद्रीय जांच दल ने लिए थे सैंपल

21 अगस्त को केन्द्र सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय के दल ने बालाघाट जिले के 3 गोदामों सहित मंडला के एक गोदाम के चावल के कुल 32 सैंपल लिए गए थे. जिसमें 21 सैंपल जिले राइस मिलर्स द्वारा कस्टम मीलिंग में सप्लाई किए गए चावल के थे, जो जांच में अमानक पाए गए थे. जिसको लेकर भारत सरकार के डिप्टी कमिश्रर विश्वजीत हलधर ने मध्यप्रदेश के प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति को पत्र लिखकर 8 करोड़ रुपये मूल्य के 31 हजार क्विंटल चावल के अखाद्य होने के साथ साथ भेंड़, बकरी और घोड़ों को खिलाए जाने लायक होने का उल्लेख किया था. उन्होंने संबंधित राइस मिलर्स पर कार्रवाई की अनुशंसा भी की थी.

जिला प्रबंधक हुए निलंबित

इस पत्र के बाद से प्रदेश की राजनीति में तूफान आया है. सरकार ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश देने के साथ ही जिला प्रबंधक बालाघाट को निलंबित कर दिया है और गुणवत्ता कार्यों में संलग्न गुणवत्ता नियंत्रकों की सेवाएं समाप्त करने की जानकारी मिली है. पिछले साल भी बालाघाट जिले से प्रदेश के अन्य स्थानों को भेजी गई चावल की खेप जांच में अमानक पाई गई थी और कुछ राइस मिलों पर कार्रवाई भी की गई थी, लेकिन आज तक एक भी राइस मिल को शासन द्वारा अधिकारियों की मिलीभगत के कारण काली सूची में नहीं डाला गया है और हर साल उन्हीं राइस मिलों को फिर से कस्टम मीलिंग का काम दे दिया जाता है. राइस मिलर्स अपनी आदत से बाज नहीं आते हैं और अधिकारियों की मिलीभगत से फिर गुणवत्ताहीन व निम्न स्तर का चावल शासन को देते रहते हैं. जो राशन दुकानों के माध्यम से गरीबों को वितरित किया जाता है.

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