बलाघाट। आदिवासी बाहुल्य तहसील परसवाड़ा से तकरीबन 18 किलोमीटर दूर चनई ग्राम के कन्हार नाला के पास रेत भंडारण स्थल पर उस वक्त रेत ठेकेदार के कर्मचारियों और ग्रामीणों के बीच तीखी नोकझोंक हो गई, जब ग्रामीणों ने रेत ठेकेदार के कर्मचारियों को लॉकडाउन के दौरान बेवजह ना घूमने तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पहले 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन किए जाने की बात कही. इस पर रेत ठेकेदार के कर्मचारियों के द्वारा न केवल लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाई गईं, बल्कि ग्रामीणों पर अपने रुतबे का धौंस जमाया गया, जिसको लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश देखा गया.
लॉकडाउन में धड़ल्ले से चल रहा रेत उत्खनन, प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप
परसवाड़ा से तकरीबन 18 किलोमीटर दूर चनई ग्राम के कन्हार नाला के पास लॉकडाउन में भी रेत ठेकेदार खनन कर भंडारण कर रहे हैं, वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि रेत माफियाओं की प्रशासन के साथ सांठगांठ है.
मामले की सूचना ग्रामीणों द्वारा प्रशासनिक अमले को दी गई, जहां सूचना मिलते ही तहसीलदार नितिन चौधरी, एसडीओपी अपूर्व भलावी, टीआई सहित पुलिस बल मौके पर पहुंच गया, जिसके बाद तहसीलदार द्वारा कुछ लोगों को क्वॉरेंटाइन सेंटर परसवाड़ा लाया गया, लेकिन शाम होते ही उन्हें छोड़ भी दिया गया, जिसे लेकर ग्रामीणों में एक ओर दहशत का माहौल है, तो वहीं दूसरी तरफ इस बात को लेकर नाराजगी है कि सुनियोजित ढंग से प्रशासनिक अमले की मिलीभगत से दो नंबर की रेत को एक नंबर बनाकर मोटी रकम कमाई जाती है.
इतनी भारी मात्रा में अवैध डम्प होना निश्चित ही प्रशासनिक अमले की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े करता है, वहीं दूसरी बात ये है कि वर्तमान रेत भंडारण स्थल पर 2500 घन मीटर से भी अधिक रेत डंप है, जबकि खनिज विभाग द्वारा 1650 घन मीटर रेत की जब्ती बनाई गई है, जो विभागीय अमले की मिलीभगत की ओर इशारा करता है.बहरहाल इस पूरी प्रक्रिया में दो नंबर की रेत को एक नंबर पर लाकर न केवल शासकीय अति आवश्यक कार्यों के लिए विक्रय किया जा रहा है, बल्कि जिले सहित अन्य जगहों पर मनमानी दामों पर बेचकर जमकर चांदी काटी जा रही है.