बालाघाट।चिन्नौर चावल और गौरीशंकर बिसेन बालाघाट की पहचान बन चुके हैं. वैनगंगा नदी के किनारे बसा बालाघाट प्राकृतिक खूबसूरती से भरपूर है. बालाघाट में धान की बंपर पैदावार होती है जिसमें लजीज चावल चिन्नौर जीआई टैग भी मिला हुआ है. गौरीशंकर बिसेन बालाघाट सीट से 7 बार से विधायक चुने जा चुके हैं. 1985 से 2018 तक 7 बार जीत हासिल करने वाले बिसेन पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष हैं. बिसेन बालाघाट संसदीय सीट से दो बार सांसद भी चुने जा चुके हैं.
बालाघाट की खासियत: शहर को मूल रूप से बुरहा कहा जाता था, लेकिन इस नाम को बालाघाट से बदल दिया गया, जो मूल रूप से केवल जिले का नाम था. बालाघाट टाइल्स कारखानों और चावल मिलों के लिए प्रसिद्ध है. बालाघाट में धान की बंपर पैदावार होती है. चिन्नौर को जीआई टैग भी मिला हुआ है. कान्हा टाइगर रिजर्व या कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मौजूद है. ऐतिहासिक हट्टा की बावली मौजूद है जिसका निर्माण हट्टा ग्राम के प्राचीन किले में किया गया है. हैय्य वंशीय राजाओ के बाद गोंड राजा हटे सिंह वल्के ने इस बावली का निर्माण कराया था.
बालाघाट विधानसभा क्षेत्र में मतदाता:बालाघाट विधानसभा में 1 लाख 13 हजार 149 पुरुष मतादाता, 1 लाख 13 हजार 950 महिला मतदाता और 4 थर्ड जेंडर मिलाकर कुल 2 लाख 27 हजार 997 वोटर हैं जो 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों भाग्य का फैसला करेंगे.