आगर। प्रदेश के कई किसान ऐसे हैं, जिन्हें पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने हाथों से कर्जमाफी का प्रमाण पत्र बांटा था, लेकिन आज तक उनका कर्ज माफ नहीं हुआ, जिससे किसान अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. सुसनेर तहसील में पांच हजार से अधिक किसान ऐसे हैं, जो इस योजना के तहत पात्र होकर कागजी कारवाई भी पूरी कर चुके थे, पर उनका कर्ज जस का तस है.
कोरा रह गया कर्जमाफी प्रमाण पत्र, पूरी कार्रवाई के बाद भी कर्ज जस के तस
पिछली सरकार में किसानों को मिला कर्जमाफी प्रमाण पत्र कोरा कागज साबित हुआ है क्योंकि पूरी कागजी कार्रवाई करने के बाद भी किसानों के ऋण जस के तस हैं और बैंकें कर्ज भी नहीं दे रही हैं.
सुसनेर में खैराना, जामुनिया, मैना, सुसनेर, गैलाना, मालनवासा, मोडी, गणेशुपरा और लटूरी गेहलोत सहकारी संस्थाओं में कुल 9948 किसानों की करीब 61.13 करोड़ रूपये का ऋण बाकी था, जो माफ होना था, जिसमें 7943 किसानों का ही कर्ज माफ हुआ है. इन सहकारी संस्थाओं के 2005 पात्र किसान ऐसे हैं, जिनका कर्ज आज तक माफ ही नहीं हुआ है. कांग्रेस सरकार ने सिर्फ किसानों को कर्जमाफी के प्रमाण पत्र देकर संतुष्ट किया है, जबकि 449 किसानों को कर्जमाफी के बाद भी प्रमाण पत्र नहीं मिला है.
जब किसानों ने सहकारी संस्थाओं से दोबारा कर्ज मांगा तो सहकारी संस्थाओं ने ये कहते हुए इनकार कर दिया कि तुम्हारे खाते में राशि जमा नहीं हुई है. सहकारी संस्था के सुपरवाइजर नारायण प्रसाद गायरी के अनुसार जिला सहकारी बैंक के तहत आने वाली 9 सहकारी संस्थाओं के कुल 9948 किसानों की करीब 61.13 करोड़ रूपये की ऋणमाफी होनी थी, इनमें से 7943 किसानों का ही कर्ज माफ हुआ है. 5955 किसान ऐसे हैं, जिनको ऋण माफी के बाद दोबारा ऋण स्वीकृत किया गया है.