भोपाल।08 नवंबर, मंगलवार कोकार्तिक मास पूर्णिमा पर साल 2022 का आखिरी चंद्र ग्रहण लग रहा है. यह साल का दूसरा चंद्रग्रहण होगा. भारत में चंद्र ग्रहण शाम 5 बजकर 20 मिनट से शाम 6 बजकर 20 मिनट पर खत्म हो जाएगा. भारत दिखने के कारण इसका सूतक काल मान्य होगा. 15 दिन में ये दूसरा ग्रहण है इससे पहले 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगा था. शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि के दिन होता है और सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या तिथि के दिन होता है. सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण पूरी तरह से खगोलीय घटना है लेकिन इसका धार्मिक पक्ष भी है. हम आपको बताते हैं कि चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण (Difference between solar eclipse and lunar eclipse) के बीच क्या अंतर है.
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के बीच अंतर:
जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है, जब चंद्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो चंद्रमा के पीछे सूर्य कुछ समय के लिए छिप जाता है इसे सूर्य ग्रहण कहते हैं. सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या तिथि के दिन होता है. जब सूर्य कुछ देर के लिए पूरी तरह से चंद्रमा के पीछे छिप जाता है तो उसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहते हैं.
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पूर्णिमा के दिन जब सूर्य और चंद्रमा की बीच पृथ्वी आ जाती है तो उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है चंद्रमा का छाया वाला भाग अंधकारमय रहता है. और इस स्थिति में जब हम धरती से चांद को देखते हैं तो वह भाग हमें काला दिखाई पड़ता है और इसे हम चंद्र ग्रहण कहते हैं. सरल शब्दों में कहें तो जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो सूर्य की पूरी रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ती है. इसे चंद्रग्रहण कहते हैं. चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि के दिन होता है.
अमावस्या और पूर्णिमा के दिन सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की स्थिति होती है इस स्थिति में चन्द्रमा, सूर्य एवं पृथ्वी एक सीध में होते हैं तो चंद्रमा के उच्च आकर्षण बल के कारण उच्च ज्वार उत्पन्न होता है.
खगोलीय घटनाएं हमेशा आकर्षण का केंद्र रही हैं. धार्मिक प्रवृत्ति के लोग जहां इन घटनाओं को शुभ और अशुभ के नजरिए से देखते हैं तो वैज्ञानिकों के लिए सिर्फ यह पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच घूमने की वजह से अलग अलग चरणों का अध्ययन होता है. अगर धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों ही घटनाओं के समय कई तरह की सावधानी और उपाय बरतने की बात कही जाती है. (difference between chandra grahan and surya grahan)
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चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के दौरान सावधानियांं: चंद्रग्रहण और सूर्य ग्रहण के समय किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए, क्योंकि ग्रहण का सूतक काल अशुभ माना जाता है. सूतककाल शुरू होते ही मंदिर के द्वार बंद कर देना चाहिए और देवी-देवताओं की मूर्तियों को नहीं छूना चाहिए. मंदिर या घर में पूजा पाठ और दूसरे धार्मिक कार्य नहीं करने चाहिए. सूतक काल में पेड़-पौधों को भी नहीं छूना चाहिए और यात्रा से बचना चाहिए. ग्रहणकाल में इष्ट देवी-देवताओं की प्रार्थना या गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए. ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करना चाहिए. ग्रहण समाप्त होने पर मंदिर और घर में गंगाजल छिड़कना चाहिए. ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है.