उज्जैन। उज्जैन शहर यूं तो बाबा महाकाल के मंदिर के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. लेकिन मध्य प्रदेश की धर्म नगरी का एक मंदिर ऐसा भी है जहां देश के लिए शहीद होने वाले भारत मां के वीर सपूतों की पूजा होती है. जिसे शहीदों के मंदिर के नाम से जाना जाता है.
तस्वीरों में दिख रही ये मूर्तिया उन वीर जवानों की हैं जो हंसते-हंसते देश के लिए कुर्बान हो गए. लेकिन इनकी यादों को सहेजने का काम किया रिटार्यड जज दान सिंह चौधरी ने. दान सिंह चौधरी ने अपनी रिटायरमेंट की राशि से उज्जैन के नृसिंह घाट के पास 10 हजार वर्गफुट की जमीन पर शहीदों के इस मंदिर का निर्माण कराया.
मंदिर में वीर जवानों की करीब 50 मूर्तिया लगी हुई हैं, हर मूर्ति के नीचे उनकी वीरता की वीरगाथा भी लिखी गई है. ताकि लोगों को उनके अदम्य साहस की जानकारी मिल सके. इन मूर्तियों में है पूर्व थल सेना अध्यक्ष जर्नल केएम करिअप्पा, प्रथम फील्ड मार्शल जनरल शेन मॉनिकशा, पूर्व वायु सेना अध्यक्ष अर्जुन सिंह जैसे दिग्गज सिपाहियों की मूर्तियां. जिनके साहस, और दृढ़ इच्छाशक्ति से आज पूरी दुनिया में भारतीय सेनाओं का लोहा माना जाता है.
शहीदों के इस मंदिर का निर्माण कराने वाले जज दानसिंह चौधरी तो अब इस दुनिया में नहीं रहे. लेकिन मंदिर की देखरेख करने वाले राम सिंह कहते हैं कि दानसिंह चौधरी का उद्देश्य केवल इतना ही था कि नई पीढ़ी देश के परमवीरों को पहचाने और उन्हें ही अपना आदर्श बनाए. रिटायर्ड जज दान सिंह का ये उद्देश्य आज सफल नजर आता है. क्योंकि जो भी यहां से गुजरता है वो इन वीरों जवानों के मंदिर में मत्था जरुर टेकता है. 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस के दिन इस मंदिर में लोग शहीदों को नमन करने पहुंचते हैं.