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मदर्स डे स्पेशल: 51 बेटियों की मां से मिलिए, जो जिम्मेदारी और फर्ज की हैं अनोखी मिसाल - सतना की अनोखी मां

सतना में एक 51 बेटियों की मां है, जिनका नाम सोनिया जौली है. वो शहर में उपकार नाम से एक सोसायटी चलाती हैं. जिसके तहत 51 लड़कियों को पढ़ाने की जिम्मेदारी उन्होंने अपने कंधों पर उठा ली है. इसी के चलते उन्हें 51 बेटियों की मां कहा जाता है.

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सतना न्यूज

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Published : May 10, 2020, 7:48 PM IST

Updated : May 10, 2020, 9:05 PM IST

सतना।महिलाएं हमेशा दोहरी भूमिका निभाती हैं. एक अपनी जिम्मेदारी और दूसरा मां का फर्ज. सतना शहर की सोनिया जौली भी कुछ ऐसा ही फर्ज निभा रही हैं. जो गरीब और निर्धन 50 से ज्यादा बच्चियों की शिक्षा की जिम्मेदारी खुद उठा रही हैं. ये सभी बच्चियां सोनिया जौली को मां कहकर पुकारती हैं.

मिलिए 51 बेटियों की मां सोनिया जौली

सोनिया जौली वैसे तो एक गृहणी हैं, लेकिन लोग उन्हें अनूठे काम के कारण 51 बच्चों की मां भी कहा जाता है. क्योंकि उन्होंने गरीब 51 बच्चियों की देखरेख का जिम्मा उठाया है. जो इन बच्चियों की पढ़ाई से लेकर उनके खाने-पीने तक का पूरी जिम्मेदारी खुद देखती है. ताकि उनका जीवन सवर सके.

उपकार सोसयटी के बच्चे

सोनिया जौली खुद 2 बच्चों की मां है, और 21 साल से समाज सेवा करती आ रही हैं. शुरुआत से बेटियों के प्रति विशेष लगाव होने के चलते उन्होंने 5 साल पहले एक नई शुरुआत की. सोनिया जौली ने सबसे पहले 6 बच्चियों को गोद लेकर उनको पढ़ाने-लिखाने का काम शुरू कर दिया. आज उनके इस काम को 5 साल पूरे हो चुके हैं, देखते ही देखते 6 बच्चियों की जिम्मेदारी उठाने का सफर अब 51 बच्चियों तक पहुंच गया है.

उपकार नाम से चलाती हैं सोसायटी

सोनिया जौली ने उपकार नाम से अपने सोसाइटी बनाई है. जिसमें समाजसेवी और डॉक्टर जुड़े हैं. आज सोनिया 51 बेटियों के जीवन में शिक्षा का प्रभाव कर रही हैं, इन बेटियों की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाती हैं. सोनिया जौली ने बताया कि वो अपने माध्यम से लोगों को एक संदेश देना चाहती है. हमें गरीब और बेसहारा बच्चों की मदद करनी चाहिए. क्योंकि आपको भगवान ने सक्षम बनाया है, तो हमें दूसरों का सहारा बनना चाहिए.

बेटियां तो समाज का गहना होती हैं

सोनिया जौली ने कहा कि हमारे देश में बेटियों से कैसा बर्ताव किया जाता है, हम सभी अच्छे से जानते हैं. समाज के हर वर्ग में बेटियां उपेक्षा का शिकार बनती हैं, यहां तक कि उनको कोख में ही मार दिया जाता है. तो कभी जन्म के बाद लावारिस छोड़ दिया जाता है. इसलिए आज समाज में बच्चियों की जिंदगी के संवारने की जिम्मेदारी हमारी है.

Last Updated : May 10, 2020, 9:05 PM IST

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