सतना।भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष बनने के बाद पहली बार सतना पहुंचे योगेश ताम्रकार ने बातचीत की. योगेश ताम्रकार ने कहा उन्हें पार्टी जो भी नई जिम्मेदारी देगी वह उसका निर्वाहन पूरी ईमानदारी से करने के लिए तैयार है. नवनिर्वाचित प्रदेश उपाध्यक्ष ने इस दौरान कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. सतना जिले के रहने वाले योगेश ताम्रकार पहले से ही पार्टी संगठन से जुड़े रहे हैं. इससे पहले योगेश ताम्रकार बीजेपी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य भी रहे चुके हैं. लेकिन इस बार उन्हें पार्टी ने भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष की एक नई जिम्मेदारी सौंपी है. इस नई जिम्मेदारी मिलने के बाद आज वह पहली बार सतना पहुंचे, जहां उन्होंने हनुमान मंदिर में माथा टेका और वहां से शुरुआत करते हुए पूरे शहर में पैदल भ्रमण किया, इस दौरान नये प्रदेश उपाध्यक्ष योगेश ताम्रकार का स्वागत किया.
मैं नई जिम्मेदारी के लिए तैयार हूं- योगेश ताम्रकार सवाल- पार्टी ने आपको नई जिम्मेदारी सौंपी है. इसके लिए क्या कार्य योजना रहेगी आपकी
जवाब- भारतीय जनता पार्टी में अभी जो नई सूची जारी की है. उसमें मुझे प्रदेश उपाध्यक्ष की नई जिम्मेदारी सौंपी है और जो भी संगठन की अपेक्षा होगी, उसको पूरा करने का पूरा प्रयास करेंगे. बहुत से लोगों के नाम जो कभी कल्पना नहीं कर सकते थे उसमें मेरा नाम भी है और एकदम से हमें इतने बड़े पद में बैठाना उसे लगता है कि कहीं ना कहीं सतना के विकास के लिए कुछ आवश्यकताएं हैं, जिन्हें पूरा करने में प्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है और सतना में उस भूमिका के तहत कितना सहयोग कर सकता हूं उसको पूरा प्रयास करूंगा.
सवाल- विंध्य क्षेत्र की आवश्यकताएं पूरी नहीं होती हैं इसमें आप की क्या भूमिका रहेगी
जवाब- बहुत सी योजनाएं ऐसी रहती है जो केंद्र सरकार और बहुत सी राज्य सरकार की योजनाएं रहती हैं, केंद्र और राज्य की योजनाएं रहती हैं उसमें किस प्रकार से हम माध्यम बन सकते हैं इसके लिए हम प्रयास करेंगे.
सवाल- कृषि कानून को लेकर किए जा रहे विरोध के बारे में आपका क्या कहना है
जवाब- किसान आंदोलन जो चल रहा है मेरे हिसाब से इस आंदोलन में किसान छोड़कर बाकी सभी लोग शामिल हैं. इस आंदोलन में जो सहभागिता कर रहे हैं, वह पहले सीए ए के आंदोलन में भी वहीं चेहरे थे, अधिकांश चेहरे उसमें से ऐसे हैं जिनको हम मिडिल मैन कह सकते हैं. वह वास्तविक किसान नहीं है, क्योंकि जो मुद्दा एक महीने से चल रहा उसमें वास्तविक किसान इस समय जुताई - बुवाई में लगा हुआ है और उस किसान को समय ही नहीं है कि वह आंदोलन करें. करोड़ों रुपए की गाड़ी में आने वाला किसान है मुझे नहीं लगता, किसान जो पहले अपनी उपज का 10 रुपये लागत में 11रुपये का सामान बेच लेता था मजबूरी में.
आज उसे 11 की वजह 40 -50 रुपए मिलेगा, जो बीच का 20-30 रुपए है, जो खाने वाला व्यक्ति है पर बिना मेहनत के बीच का लाभ लेता था, उनका रोल ज्यादा है, विपक्ष में आज कांग्रेस बैठी हुई है. कांग्रेस ने खुद इस मुद्दे को कपिल सिब्बल एवं अन्य बड़े नेताओं ने लोकसभा में उठाया, किसान बिल पास होना चाहिए. आज जब पास कर दिए हैं तो उसी का विरोध कर रहे हैं, विरोध करने के लिए विलोध करना है तो फिर उसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन अगर हम वास्तव में किसान को चाहते हैं कि गरीब किसान संपन्न किसान बने तो मुझे लगता है कि किसानों को आपत्ति नहीं है, जो किसान नहीं है वह किसान बनने का ढोंग कर रखा है, उनको ज्यादा आपत्ति है, इसलिए किसान आंदोलन में जो भाग ले रहे हैं. 'मैं यही कहूंगा कि उनको किसानों के दर्द को समझना चाहिए और किसान संपन्न हो तो हमारा देश और हमारा समाज संपन्न होगा'.
कांग्रेस का दोहरा चरित्र हमेशा रहा है. किसी भी मुद्दे को लेकर देखें, पहले उस बात के लिए जब वह सत्ता में रहती है. कृषि बिल लाने की बात करती है और जब सत्ता में नहीं रहती तो उसी बिल का विरोध करती है. तो मुझे लगता है कि कांग्रेस का दोहरा चरित्र एक नहीं कई मुद्दों पर सामने आ चुका है, जिस में किसान आंदोलन भी एक मुद्दा है.