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जानिए कहां बन कर तैयार है देश का पहला कालीयंत्र पर स्थापित मंदिर, जहां एक पत्थर पर बनी प्रतिमा है चमत्कारी!

जबलपुर में एक ऐसी महाकाली मंदिर है जो अपनी निर्माण शैली और प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है.इस मंदिर की खासियत है कि इसका निर्माण सिद्ध मंत्रों के आधार पर हुआ है. साथ ही ग्रहों व नक्षत्रों को ध्यान में रखते हुए इसका गुंबद बनकर तैयार हो रहा है. पढ़िए मंदिर की खासियत और क्यों देश के बाकी काली मंदिरों से यह अलग है. (kali yantra mahakal mandir)

Mahakali Temple built on Kali Yantra in jabalpur
जबलपुर में काली यंत्र पर बना महाकाली मंदिर

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Published : Apr 30, 2022, 1:08 PM IST

जबलपुर।भारत देश में अनेकों मंदिर है लेकिन कुछ मंदिर ऐसे हैं जिनसे जुड़े रहस्य उन्हें बेहद खास बनाता है. ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर जबलपुर में स्थापित है, जो काली यंत्र से जुड़ा हुआ है. यहां महाकाली को समर्पित एक मंदिर स्थापित किया गया है जो कालीयंत्र पर निर्मित है. धार्मिक मान्यता है कि माता महाकाली मां भगवती का रौद्र रूप हैं, जिनके सामने बड़ी से बड़ी राक्षसी शक्तियां भी शक्ति हीन हो जाती हैं, लेकिन माता महाकाली की विशालकाय प्रतिमा कहीं भी देखने को नहीं मिलती. आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी, (maa kali temple in jabalpur) (kaliyantra temple india)

काली यंत्र महाकाल मंदिर

काली यंत्र पर बना महाकाली मंदिर: रैगवां में देश का पहला कालीयंत्र पर स्थापित मंदिर बनाया जा रहा है. जिसका लगभग 70 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है. माता महाकाली की 17 फीट ऊंची और 17 टन वजनी प्रतिमा यहां स्थापित की गई है. मंदिर के पुजारी सुधीर दुबे ने मंदिर से जुड़ी रोचक कहानियों के बारे में बताया. उन्होंने कहा जब वे आठ साल के थे, तब से गढ़ाफाटक स्थित महाकाली मंदिर में माता की सेवा कर रहे हैं.

पॉजीटिव एनर्जी का रखा गया है विशेष ध्यान: पुजारी ने बताया कि उन्हें माता से मार्गदर्शन मिला और पूर्णरूप से स्थापित माता महाकाली का मंदिर बनाने के लिए माता ने आदेश दिया. इसके बाद उन्होंने शहर के कई क्षेत्रों में प्लॉट लेकर वहां मंदिर बनाने का प्रयास किया. लेकिन वहां उन्हें सकारात्मक ऊर्जा नहीं मिली. इसके बाद रैगवां में उन्होंने प्लॉट लिया और जब यहां पूजन किया तो सकारात्मक ऊर्जा मिली.

जबलपुर में मां काली मंदिर

एक पत्थर पर बनी प्रतिमा:तीन साल पहले उन्होंने माता महाकाली के कालीयंत्र पर आधारित मंदिर बनाने का काम शुरू करवाया. इसके बाद जयपुर में माता महाकाली की एक पत्थर पर प्रतिमा बनवाने के लिए मूर्तिकार से चर्चा की. इसके लिए 40 टन का पत्थर चयनित किया गया, लेकिन जब क्रेन से पत्थर को उठाया जा रहा था तो क्रेन का बेल्ट टूट गया. इसके बाद पंडित सुधीर दुबे ने जबलपुर में ही माता महाकाली का पूजन कर आव्हान किया, और उसी टूटे बेल्ट से उस 40 टन वजनी पत्थर को उठाया गया और उसमें मूर्ति गढ़ी गई.

श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं होती है पूरी: प्रतिमा तैयार होने के बाद 800 किलोमीटर की दूरी लगभग दो दिन में पूरी करके बड़े ट्राला से प्रतिमा को जबलपुर लाकर स्थापित किया गया. तब से आज तक हर दिन यहां माता की अखंड ज्योति जल रही है और माता की प्रतिमा का पूजन किया जा रहा है. नवरात्र में माता महाकाली का विशेष पूजन एवं अनुष्ठान किया जाता है. इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

जबलपुर में काली यंत्र पत्थर पर बनी मूर्ति

सिद्ध मंत्रों के आधार पर मंदिर का निर्माण:इस मंदिर की खासियत है कि इसका निर्माण सिद्ध मंत्रों के आधार पर हुआ है. साथ ही ग्रहों और नक्षत्रों को ध्यान में रखते हुए इसका गुंबद बनकर तैयार हो रहा है. मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में मौजूद ये एकमात्र काली यंत्र पर बना महाकाली मंदिर, श्री सिद्ध महाकाली पीठ रैगवां पाटन रोड पर स्थित है. (Mahakali Temple built on Kali Yantra in jabalpur) (unique temple based on astrology )

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