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कोरोना की तीसरी लहर की क्या है तैयारी, हाईकोर्ट ने सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी - कोरोना से निपटने की तैयारी पर जबलपुर हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

हाईकोर्ट ने सरकार से जानकारी मांगी है कि कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के लिए वो क्या कर रही है. मेडिकल सुविधाएं बढ़ाने के लिए सरकार की क्या तैयारी है. कोर्ट ने जवाब पेश करने के लिए सरकार को 2 हफ्ते का समय दिया है.

jabalpur hc seeks report on corona
कोरोना की तीसरी लहर का क्या है तैयारी, हाईकोर्ट ने सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी

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Published : Jan 7, 2022, 10:06 PM IST

जबलपुर। कोरोना की तीसरी लहर से बचाव और मेडिकल सुविधा के संबंध की गयी तैयारियों की जानकारी पेश करने के हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश जारी किये हैं. हाईकोर्ट युगलपीठ ने कोविड संबंधित याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की है.

तीसरी लहर की क्या है तैयारी ?

कोरोना संबंधित संज्ञान और अन्य याचिकाओं की संयुक्त रूप से हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है. याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश की गयी स्टेटस रिपोर्ट में आईसीयू बेड ,ऑक्सीजन प्लॉट,उपचार रेट, वैक्सीनेशन सहित अन्य जानकारी पेश की गयी थी. याचिकाओं पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार ने युगलपीठ को कोरोना की तीसरी लहर के संबंध में जानकारी दी. सरकार ने बताया गया कि प्रदेश में स्थिति पूरी तरह से नियंत्रित है और सरकार की तैयारियां पूरी हैं. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने कोरोना की तीसरी लहर के रोकधाम और बचाव संबंधित तैयारियों की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने निर्देश जारी किये हैं.

शपथपत्र पेश नहीं करने पर कोर्ट सख्त

हाईकोर्ट ने पूर्व में जारी आदेश के बावजूद भी शपथपत्र पर जवाब पेश नहीं करने के मामले को सख्ती से लिया है. कोर्ट ने सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग मंडला को 7 फरवरी को व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होकर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. यह मामला शासकीय कन्या हायर सेकेण्डरी स्कूल बिछिया मंडला में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 कलीबाई चौधरी की ओर से दायर किया गया है. आवेदिका का कहना था कि उनके पति स्वर्गीय सेवकराम चौधरी सहायक शिक्षक के पद पर पदस्थ थे, जिनकी 23 अक्टूबर 1999 को मृत्यु हो गई थी. सहायक आयुक्त आदिवासी व कलेक्टर मंडला ने नियमित के स्थान पर कलेक्टर दर से वेतन भुगतान के आदेश जारी किये. आवेदिका कहना था कि उन्हें 6 नवंबर-2018 को स्थायी कर्मी बनाया गया. मामले की सुनवाई पर न्यायालय ने सहायक आयुक्त आदिवासी मंडला को जिले में खाली पदों की जानकारी के संबंध में एफीडेबिट पेश करने के निर्देश दिये थे. इसके बाद आगे हुई सुनवाई पर सहायक आयुक्त की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया, बल्कि समय की राहत चाही गई. जिसे गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने ये आदेश दिये.

सेंट फ्रांसिस अनाथालय से बच्चों की शिफ्टिंग पर रोक

सागर स्थित सेंट फ्रांसिस अनाथालय से तीन बच्चों को दूसरे स्थान पर शिफ्ट किये जाने के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस नंदिता दुबे ने बाल कल्याण समिति द्वारा पारित आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है. एकलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अनाथलय के सचिव सिंटू विर्गेस की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि बाल कल्याण समिति द्वारा तीन बच्चों को किसी अन्य स्थान पर शिफट करने के आदेश जारी किये गये हैं. वर्ममान में अनाथालय में 44 बच्चे हैं. बाल कल्याण समिति सभी बच्चों को दूसरे स्थान में भेजना चाहती है. इसके लिए वह पुलिस का सहयोग ले रही है. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि अनाथलय के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं हुआ है. जिसके कारण बच्चो को किसी अन्य स्थान में शिफट करने का निर्णय लिया गया है. याचिकाकर्ता की तरफ से विरोध करते हुए बताया कि लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए उन्होंने आवेदन किया है जो लंबित है.

जनहित याचिका खारिज, 25 हजार का जुर्माना लगाया

हाईकोर्ट ने वह जनहित याचिका खारिज कर दी है, जिसमें बुरहानपुर वार्ड नंबर-15 नगहिरी में पीएम आवास योजना के तहत अपात्रों को मकान आवंटित किये जाने का आरोप लगाया गया था. युगलपीठ के समक्ष आवेदक की ओर से यह साबित नहीं हो सका कि उक्त आवंटन अपात्रों को हुआ. जिस पर युगलपीठ ने इसे जनहित याचिका का दुरुपयोग मानते हुए 25 हजार की कॉस्ट लगाते हुए दायर याचिका खारिज कर दी. युगलपीठ ने जुर्माने की राशि एक सप्ताह में कोरोना आपदा अधिवक्ता कल्याण कोष में जमा किये जाने के निर्देश दिये हैं.

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नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले को 20 साल की सजा

खेत में शौच करने गई 15 वर्षीय नाबालिग बालिका के साथ दुष्कर्म के मामले में विशेष अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट न्यायालय ने फैसला देते हुए आरोपी दिनेश उर्फ भुरू को 20 साल की सजा दी है. उस पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया. न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में कहा कि दोषी दिनेश उर्फ भुरू ने पीड़िता के साथ ही बलात्संग किया है जो एक अवयस्क बालिका है. ऐसे कृत्य किये जाने के कारण दण्ड में नरम रूख अपनाने से अपराधियों के होसले बुलंद होंगे और समाज में उचित संदेश नहीं जायेगा.

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