जबलपुर। बीते 11 फरवरी को गोराबाजार थाना के बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एटीएम में हुई लूट और हत्या मामले का खुलासा करने वाले 159 पुलिस जवानों का एसपी ने सम्मान किया. इस सनसनीखेज वारदात में शामिल दो अपराधियों ने 12 दिनों तक पुलिस को छकाया. हत्याकाड और लूट मामले में पुलिस को सफलता जरूर मिली है लेकिन कई खामियों को भी उजागर किया. हालांकि पुलिस ने जनता के बीच भरोसा भी जगाया है कि टीम के रूप में आगे भी इसी तरह काम करते हुए अन्य अनसुलझे केसों के खुलासे किये जाएंगे.
क्या था मामला
11 फरवरी की दोपहर में गोरा बाजार थाना क्षेत्र के बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एटीएम में कैश जमा करने गई टीम के साथ फायरिंग कर लूटपाट हुई थी. आरोपी कैश से भरी पेटी लेकर फरार हो गए थे, जिसमें 33 लाख रूपए रखे थे. घटना में सुरक्षा गार्ड राम बहादुर की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि दो कैशियर राजबहादुर सिंह और श्रेयांश ताम्रकार घायल हो गये थे. इनमें एक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है. पिछले 20 सालों में आरोपियों के दुस्साहस की यह सबसे बड़ी घटना थी.
थाना पुलिस फिसड्डी, IG-DIG ने संभाला मोर्चा
इस घटना ने जबलपुर को दहलाकर रख दिया था. इस मामले में जहां बैंकों की बड़ी लापरवाही सामने आई है तो वही जबलपुर पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी कई तरह के सवाल उठने लगे. घटना के शुरुआती 24 घंटे तक पुलिस सुस्त बनी रही, अधिकतर समय घटनाक्रम को लेकर जबलपुर पुलिस सीसीटीवी और साइबर टीम पर ही निर्भर रही. घटना के वक्त एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा अवकाश पर थे, हालांकि सूचना मिलते ही वह छुट्टी रद्द कर दूसरे दिन लौट आए. उनकी गैर मौजूदगी में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक उमेश जोगा और डीआईजी आर.आर सिंह परिहार ने मोर्चा संभाला. 24 घंटे में ही बदमाशों पर 30 हजार का इनाम घोषित हो गया. पुलिस के पास सुराग के तौर पर बदमाशों का सीसीटीवी फुटेज ही था पर वह भी नाकाफी. क्योंकि फरार आरोपियों की कोई लोकेशन नही थी, हत्यारों के फरार होने के बाद घेराबंदी भी कराई गई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ,
12 दिन बाद यूपी से पकड़े गए हत्यारे
इनाम घोषित करने के बाद भी पुलिस आरोपियों तक नहीं पहुंच पा रही थी. आरोपियों को पकड़ना पुलिस के लिए चुनौती बन गया था. 23 फरवरी को पुलिस ने मामले का खुलासा किया. गंगापुर रोहनिया, वाराणसी निवासी सगे भाई मनोज कुमार पाल और उसके छोटे भाई सुनील पाल ने मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था. दोनों को आर्मीमैन चाचा ने गोद लेकर जबलपुर में पढ़ाया-लिखाया था, रिटायरमेंट के बाद चाचा ने दूसरी शादी कर ली और दोनों को बेघर कर दिया. जिसके बाद वे गुजरात गए और जल्द अमीर बनने के लिए सोशल मीडिया पर अपलोड वीडियो देखकर एटीएम कैश वाहन लूटने का प्लान तैयार किया था. दोनों ने ढाई महीने से रेकी की और उसके बाद वारदात को अंजाम देने में सफल हुए थे.