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Ravi Pradosh Vrat : ग्रह बाधा से मुक्ति, मान-सम्मान, वैवाहिक सुख का आशीर्वाद मिलेगा इस व्रत को करने से, जानें शुभ मुहूर्त, विधि - Bhagvan shiva ji

भगवान शिव (Lord Shiv ji) प्रदोष व्रत करने वाले अपने भक्तों की मनोकामनाएं जरूर पूरी करते हैं. 26 जून को पड़ने वाला प्रदोष व्रत रविवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत (Ravi pradosh vrat June ) कहते हैं. भगवान शिव (Lord Shiv ji) सामान्य जलाभिषेक और पूजा-अर्चना से ही खुश हो जाते हैं. प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत (Ravi pradosh vrat 26 June 2022 remedies time puja vidhi importance) किया जाता है.

ravi pradosh vrat jun 2022
मासिक प्रदोष व्रत 26 जून 2022

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Published : Jun 25, 2022, 7:12 PM IST

Updated : Jun 25, 2022, 7:57 PM IST

ईटीवी भारत डेस्क:हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत (Ravi pradosh vrat June) भगवान शंकर को समर्पित माना गया है. भक्तों के लिए प्रदोष व्रत (Mashik Pradosh Vrat June) का एक खास महत्व होता हैं. कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति प्रदोष व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ पूरा करते हैं, भगवान भोलेनाथ (Bhagvan Shiva ji) उनके जीवन से सभी कष्टों और परेशानियों को दूर कर देते हैं. प्रदोष व्रत के बारे में पंडित विश्वनाथ ने बताया कि प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा करने का खास महत्व होता है. अगर आप इस व्रत को करते हैं तो शिव (Lord Shiv ji) की कृपा से जीवन में सुख और शांति आएगी और आपके सभी मनोरथ सिद्ध होंगे.

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ऐसे हुई प्रदोष व्रत की शुरुआत : आचार्य मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है जिस तरह से लोग एकादशी व्रत विष्णु भगवान के लिए करते हैं ठीक उसी प्रकार प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए किया जाता है. जब समुंद्र मंथन के दौरान विष निकला तो महादेव ने सृष्टि कोन बचाने के लिए विषपान किया था. विष पीते ही महादेव का कंठ और शरीर नीला पड़ गया. उन्हें असहनीय जलन होने लगी. उस समय देवताओं ने जल बेलपत्र आदि से महादेव की जलन को कम किया. विष पीकर महादेव ने संसार की रक्षा की. ऐसे में पूरा विश्व भगवान का ऋणी हो गया. उस समय देवताओं ने महादेव की स्तुति की, जिससे महादेव बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने तांडव किया. इस घटना के वक्त त्रयोदशी तिथि और प्रदोष काल था. उस समय से महादेव को ये तिथि और प्रदोष काल सबसे प्रिय हो गया. इसके साथ ही महादेव को प्रसन्न करने को लेकर भक्तों ने त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में पूजन की परंपरा शुरू कर दी और इस व्रत को प्रदोष व्रत का नाम दिया जाने लगा.

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व्रत-पूजन विधि : स्नान आदि से निवृत हो प्रात:काल ऋण, रोग, सूर्य ग्रह बाधा आदि समस्याओं से मुक्ति हेतु व्रत करने का संकल्प लें. भगवान शिव को स्नान करा पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, अच्छत, चंदन व विल्वपत्र से अर्चन करें. रुद्राभिषेक, शिवतांडव या रुद्राष्टकम् (Rudrabhisheka, Shiva Tandava or Rudrashtakam) का पाठ करायें एंव 'हौं ॐ जूं सः' मंत्र का जाप करें.भगवान शिव की आरती अवश्य करें.

मिलता है ये लाभ : पंचाग के अनुसार जिस दिन त्रयोदशी तिथि होती है, उसी दिन के नाम पर प्रदोष व्रत का नाम होता है. जैसे इस बार 26 जून को पड़ने वाला प्रदोष व्रत रविवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत कहते हैं. इस व्रत का महात्म्य (Ravi pradosh vrat may 2022 remedies time puja vidhi importance) रविवार को होने से और अधिक बढ़ जाता है. जिन की कुंडली में सूर्य ग्रह खराब होता है, उन्हें विशेष तौर पर ये व्रत करना चाहिये. सूर्य ग्रह अच्छा होने से जीवन में हर मनोकामना पूर्ण होती है, सब संकट दूर हो जाते हैं और मान-सम्मान बढ़ता है. प्रदोष काल सूर्यास्त से 25 मिनट पहले शुरू हो जाता है. इस समय में ही इस व्रत की पूजा की जानी चाहिए. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7:05 से 9:00 बजे तक करीब 2 घंटे का है.

रवि प्रदोष व्रत महत्वपूर्ण समय (Ravi pradosh shubh muhurat)

व्रत- रवि प्रदोष व्रत, 26 जून 2022

सूर्योदय- सुबह 05:17 बजे

सूर्यास्त- शाम 07:05 बजे

शुभ मुहूर्त (प्रदोष काल)- शाम 7:05 से 9:00 तक

राहुकाल- शाम 5:12 बजे से सूर्यास्त तक

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Last Updated : Jun 25, 2022, 7:57 PM IST

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