इंदौर। स्वच्छता अभियान में तीसरी बार नंबर वन आने के बाद शहरवासियों का भी सफाई के प्रति नजरिआ बदलाने लगा है. आर्थिक राजधानी अब प्रदेश की सबसे स्वस्थ राजधानी बनती जा रही हैं. ये बात प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ें बया कर रहे हैं.
इंदौर ने पिछले तीन साल से लगातार स्वच्छता में हैट्रिक लगाई है. सफाई के कारण स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले धूल के कणों में भी कमी देखी गई है. साल पहले शहर में धूल के कणों का सालाना औसत 120 से 130 माइक्रोग्राम के आसपास रहता था. उसमें धीरे-धीरे कमी आई है. इस साल का औसत देखें तो PM (पर्टिकुलर मैटर) 2.5 में 20% कमी दर्ज की गई है. तेज गति से शहर में वाहन बढ़ रहे हैं, उसकी तुलना में यह बहुत ही सकारात्मक बदलाव हुआ है.
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के आंकड़े आए सामने प्रदूषण वैज्ञानिक के मुताबिक महानगरों में ऐसे धूल के कण अत्यधिक होते हैं. ये इंसान को सबसे ज्यादा हानि पहुंचाते हैं. इंदौर में भी एक समय ऐसा था जब हवा में धूल के कण मानक से 3 गुना ज्यादा थे. स्वच्छता अभियान की शुरुआत के बाद से ही आंकड़ों में लगातार कमी आई है. इसका सबसे ज्यादा फायदा PM (पर्टिकुलर मैटर) 2.5 धूल कणों में हुआ है. ये कण स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक होते हैं जो सीधे ब्लड में जाकर मिलते हैं और खतरनाक बीमारियों को जन्म देते हैं.
पिछले तीन साल के मुकाबले में डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड जैसी बीमारियों की संख्या और मौतों के आंकड़ों में कमी देखने को मिली हैं. यदि इंदौर में स्वच्छता को लेकर जागरूकता बनी रही तो इंदौर देश के उन शहरों में भी शामिल हो जाएगा, जिनकी हवा में प्रदूषण की मात्रा बहुत कम है.