इंदौर।कोरोना संक्रमण के चलते लागू हुए लॉकडाउन में चिड़ियाघर के वन्य प्राणी भले ही सुकून से हो, पर यहां पर्यटकों की आवक बंद होने से इंदौर नगर निगम को करोड़ों का घाटा हो रहा है, जिसका सीधा असर निगम और संग्रहालय के बजट पर पड़ रहा है. वहीं आय न होने से संग्रहालय का रख रखाव का खर्च भी उठाना मुश्किल हो रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष में चिड़ियाघर को 3 करोड़ से अधिक की आय हुई थी, लेकिन इस साल का वित्तीय वर्ष बीतने के बाद भी अभी तक खाता भी नहीं खुला है.
कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में पसरा सन्नाटा, इंदौर नगर निगम को करोड़ों का घाटा
लंबे समय से चले आ रहे लॉकडाउन के कारण इंदौर का कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय बंद पड़ा है, यहां पर्यटकों की आवक बंद होने से इंदौर नगर निगम को करोड़ों का घाटा हो रहा है.
प्राणियों के रखरखाव में आता है लाखों का खर्च
कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में 600 से अधिक वन्य प्राणी मौजूद हैं. इन्हें जू में रखने और इनके भोजन आदि का प्रबंध करने में ही प्रतिदिन लाखों रूपए का खर्च आता है. लॉकडाउन के चलते कमाई पूरी तरह से बंद है. लेकिन खर्चे लगातार जारी हैं. ऐसे में पहले से ही आर्थिक तंगी झेल रहे नगर निगम के ऊपर और अधिक भार आ रहा है.
पिछले वित्तीय वर्ष में हुई थी 3 करोड़ से अधिक की आय
इंदौर नगर निगम के सबसे अधिक कमाई वाले संसाधनों में इंदौर कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय माना जाता है, पिछले वित्तीय वर्ष की बात करें तो इंदौर नगर निगम को 3 करोड़ 30 लाख की आय हुई थी. जिसके बाद नए वित्तीय वर्ष में इंदौर जू को इससे भी अधिक कमाई हो होने की उम्मीद थी. जू में नए जानवरों और स्नेक हाउस के शुरू होने के कारण दर्शकों की संख्या में वृद्धि होने की संभावनाएं जताई जा रही थी, लेकिन नए वित्तीय वर्ष चालू होने के पहले ही जू पर ताला लग गया.
शेरों और हाथी को खुले पिंजरों में रखने से बढ़ रही थी निगम की आय
कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय को समय के साथ बड़ा भी किया जा रहा था और इसमें नए नए प्रयोग भी लगातार जारी है, जू में कई जानवरों को प्राकृतिक वातावरण देने की कवायद भी शुरू की गई थी, जिसमें हाथी और शेरों को खुले पिंजरों में रखना शुरू किया गया था. इस कारण से वन्य प्राणियों के स्वभाव में भी बदलाव आया था. तो वहीं दर्शक भी बड़ी संख्या में पहुंच रहे थे.