इंदौर।देश में स्वच्छता को लेकर मिसाल बन चुका इंदौर एक बार फिर कचरे से सीएनजी तैयार करने को लेकर चर्चा में है. यहां एशिया के सबसे बड़े बायो सीएनजी प्लांट के शुरू होने से प्रतिदिन शहर की 400 सिटी बसें चलाने की तैयारी की गई है. इस प्लांट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअली करने जा रहे हैं. वहीं इंदौर शहर को स्वच्छ बनाने में तत्कालीन नगर निगम प्रशासन के बुलंद इरादें और शहर की जनता की मजबूत इच्छाशक्ति काम आई है. आखिरकार इंदौर में स्वच्छता का यह आंदोलन कैसे शुरू हुआ, और इंदौर स्वच्छता सर्वेक्षण में क्यों अव्वल रहता है, इन तमाम विषयों पर ईटीवी भारत ने इंदौर की स्वच्छता के सूत्रधार कहे जाने वाले इंदौर नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त और वर्तमान कलेक्टर मनीष सिंह से बात की. जिन्होंने शहर में 2015-16 में नगर निगम आयुक्त रहते हुए स्वच्छता का अभियान शुरू किया था. (pm modi inaugurate indore cng plant)
सवाल:इंदौर में स्वच्छता का यह अभियान आपने कैसे शुरू किया? आपने जो व्यवस्था 5 साल पहले दी थी, जिसकी बदौलत संभवत अब शहर यह मुकाम हासिल कर सका है?
जवाब: दरअसल 2015-16 में जो डोर टू डोर कचरा कलेक्शन की व्यवस्था की थी, तब जनता ने इसमें बड़ा सहयोग किया. दिल्ली कचरा कलेक्शन से लेकर ट्रांसपोर्टेशन शुरू किया, स्टेशन बनाकर गाड़ियां तैयार कि गई. उस दौरान जनप्रतिनिधियों के सहयोग से जनता को जागरूक किया गया. तभी शहर में 100 फ़ीसदी कचरे का सैलरी केशन होने लगा था, फेब्रिकेशन की क्वालिटी इतनी अच्छी थी कि यहां 0.5 से लेकर 1 प्रतिशत तक ही कचरे में अशुद्धि थी. (Salary cation of waste started in Indore)
सवाल:इंदौर में कैसे स्थापित हो सका यह प्लांट?
जवाब: 2018 में जब इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (Infrastructure Leasing & Financial Services) कंपनी एनवायरन में मर्ज हुई तो भारत सरकार और यूके सरकार के वित्त मंत्रालय के सहयोग से ग्लोबल ग्रीन फंड तैयार किया गया था. इस फंड को वेस्ट मैनेजमेंट फंड निर्धारित किया गया, फिर कंपनी के प्रतिनिधियों ने वर्ष 2018-19 में देश के 25 शहरों का सर्वे करके यह जांच कर के पता किया कि सर्वाधिक उपयुक्त जिला का कचरा किस शहर से प्राप्त हो रहा है. इस दौरान जर्मन विशेषज्ञ इंदौर के कचरे की क्वालिटी देखी तो पाया गया कि गीले कचरे की क्वालिटी यूरोप के स्टैंडर्ड से भी बेहतर है. लिहाजा अगले 20 साल तक शुद्धता वाला गीला कचरा उपलब्ध होने की संभावना के चलते यह प्लांट इंदौर में स्थापित किया गया.