ग्वालियर। लोकायुक्त पुलिस संगठन ने जिस कृषि विकास विस्तार अधिकारी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था, उसी अधिकारी को क्लीन चिट देते हुए मामला जब कोर्ट में खात्मा रिपोर्ट के लिए पहुंचा तो कोर्ट ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि कई बिंदुओं पर जांच पूरी नहीं की गई है, इसलिए मामले को दोबारा जांच में लिया जाए और संपत्ति के प्राप्त करने और व्यय के हिसाब को सिलसिलेवार पेश किया जाए.
आय से अधिक संपत्ति का मामला, कृषि विकास विस्तार अधिकारी के खिलाफ कोर्ट ने दिये जांच के आदेश
ग्वालियर सत्र न्यायालय की विशेष अदलात ने कृषि विकास विस्तार अधिकारी के खिलाफ दोबारा जांच करने के आदेश दिए हैं. बड़वानी जिले में पदस्थ कृषि विकास विस्तार अधिकारी राजेंद्र कुमार सरल के खिलाफ 2016 में आय से अधिक संपत्ति की शिकायत दर्ज की गई थी, जिसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने कोर्ट में खात्मा रिपोर्ट पेश की थी.
दरअसल, प्रदेश के बड़वानी जिले में पदस्थ कृषि विकास विस्तार अधिकारी राजेंद्र कुमार सरल के खिलाफ 2016 में आय से अधिक संपत्ति की शिकायत दर्ज की गई थी. लोकायुक्त पुलिस ने जब मामले की विवेचना शुरू की तो शिकायत को सही पाया और एक साथ 3 स्थानों पर लोकायुक्त की छापामार कार्रवाई की गई. इस छापामार कार्रवाई में दो मकान राजेंद्र कुमार सरल के नाम से मिले. एक मकान उनकी पत्नी के नाम से था, और बड़वानी की संपत्ति का ब्यौरा जांच में लिया गया. यह कार्रवाई ग्वालियर बड़वानी सहित 3 स्थानों पर की गई थी. जांच में सरल के पास करोड़ों की संपत्ति मिली थी लेकिन बाद में लोकायुक्त पुलिस को पता लगा कि उक्त अधिकारी की आय अधिक थी, जबकि व्यय कम था जो कि करीब 22 फीसदी ज्यादा था.
लोकायुक्त पुलिस ने सरल के ठिकानों से मिले 6 मोबाइल का कोई डिटेल अपनी रिपोर्ट में नहीं दिया है ना ही उनके द्वारा बताए गए कर्ज और पैतृक संपत्ति का कोई हिसाब खात्मा रिपोर्ट में दिया गया है. राजेंद्र कुमार सरल भिंड के रहने वाले हैं, उनके द्वारा अपनी पैतृक कृषि योग्य भूमि से आय का ब्यौरा भी इस जांच में नहीं बताया गया है. इसलिए खात्मा रिपोर्ट को अपूर्ण मानते हुए विशेष न्यायालय ने कृषि विकास विस्तार अधिकारी के खिलाफ दोबारा जांच करने के आदेश दिए हैं.