ग्वालियर। ग्वालियर नगर निगम में खाली पड़े महापौर के पद को नहीं भरे जाने पर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने सख्ती दिखाई है. हाइकोर्ट ने 27 सितंबर को नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव से शपथ पत्र पर इस जानकारी के साथ जवाब मांगा गया था कि उन्होंने महापौर के पद को भरने के लिए अब तक क्या प्रक्रिया अपनाई है. जिस पर अभी तक जबाव पेश नहीं किया गया है. ऐसे में हाईकोर्ट ने 18 अक्टूबर तक इस प्रक्रिया को पूरा करने के आदेश दिया है.
खाली पड़े ग्वालियर महापौर के पद पर हाईकोर्ट सख्त हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि अगर महापौर के चयन की प्रक्रिया पर दो दिन में जबाव पेश नहीं किया गया तो प्रमुख सचिव को ही कोर्ट में पेश होना पड़ेगा. ग्वालियर नगर निगम में महापौर का पद पिछले चार महीने से खाली पड़ा है. महापौर रहे विवेक नारायण शेजवलकर लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गए हैं, इसलिए ये पद खाली है.
विवेक शेजलवकर के इस्तीफा देने के बाद से इस पद पर अब तक किसी की नियुक्ति नहीं की गई है. स्थानीय अधिवक्ता एसके शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि नगर निगम एक्ट के प्रावधानों के तहत इस महत्वपूर्ण पद को खाली नहीं छोड़ा जा सकता.
उनका ये भी कहना था कि मेयर इन काउंसिल के अस्तित्व में नहीं रहने से शहर के विकास कार्य पिछड़ रहे हैं. बारिश में बदहाल हो चुकी शहर की सड़कें नहीं बन पा रही हैं. जिससे आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं. हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को दो दिन का वक्त दिया है. उन्हें कहा गया है कि दो दिन के भीतर या तो वे महापौर के मनोनयन की प्रक्रिया पूरी करें और शपथ पत्र पर इसकी जानकारी हाई कोर्ट में पेश करें. ऐसा नहीं होने पर उन्हें व्यक्तिगत रूप से शुक्रवार को कोर्ट में पेश होना होगा.