ग्वालियर ।अब इसे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का ख़ौफ कहें या कलेक्टर साहब का अति-उत्साह या फिर कोरोना से आम लोगों को सुरक्षित करने का नेक मकसद, ग्वालियर के कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह का एक बयान उनके लिए गले की हड्डी बन गया है. ग्वालियर ज़िले में कोविड टीकाकरण में ढिलाई पर कलेक्टर साहब का अपने मातहतों पर भड़कना समझ आता है लेकिन उसके लिए भाषा और शब्दों के बांध तोड़ देना गले के नीचे नहीं उतरता. 2010 बैच के IAS अधिकारी कौशलेन्द्र विक्रम सिंह अपने तेज़तर्रार व्यवहार के लिए जाने जाते हैं. कोविड वैक्सीनेशन ड्राइव (Covid vaccination drive in Gwalior) की रफ्तार बढ़ाने को लेकर सीधे मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद सभी ज़िला कलेक्टर पर ख़ासा दबाव है. कौशलेन्द्र विक्रम सिंह पर भी टार्गेट हासिल करने का प्रेशर है, शायद इसी दबाव का नतीजा था कि जब कलेक्टर साहब को पता चला कि वैक्सीनेशन में 4 दिन की देरी हुई तो वो आपा खो बैठे और मातहत अधिकारियों को फांसी पर लटकाने की धमकी दे दी. कलेक्टर साहब ने कहा कि अगर एक दिन भी देरी हुई तो फांसी टांग दूंगा.
कलेक्टर का टीका नहीं तो फांसी वाला बयान क्यों भड़के कलेक्टर साहब?
दरअसल ज़िले में कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर कलेक्टर लगातार बैठक कर रहे हैं. इस दौरान भिरतवार की टीम पर कलेक्टर साहब नाराज़ हो गए क्योंकि वहां 153 लोगों को वैक्सीन लगनी थी लेकिन केवल 98 को लगी थी, चार दिन ज़्यादा होने पर भी टारगेट पूरा नहीं हुआ. इसी बात पर कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह भड़क गए और वॉर्निंग दे दी कि "एक भी टीका छूट गया तो मैं फांसी पर टांग दूंगा, आदमी के खेत में पड़े रहो, उसके पैर में बैठे रहो, दिनभर उसके घर में पड़े रहो, लेकिन टीका नहीं छूटना चाहिए".
टीकाकरण महाअभियान मेंं 62,000 को टीका
ग्वालियर में 16 दिसंबर को होने वाले टीकाकरण महाअभियान में 62,000 लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है. 16 दिसंबर को सुबह 8 बजे से सेंटर और डोर-टू-डोर पहली और दूसरी डोज लगाई जाएगी. इससे पहले सितंबर में कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने ज़िले को राज्य का पहला 100% वैक्सीनेटेड ज़िला बनाने के लिए युद्धस्तर पर टीकाकरण अभियान चलाने का निर्देश दिया था. कोविड वैक्सीनेशन को लेकर कलेक्टर साहब पहले से ही काफी सजग हैं.
सोशल मीडिया पर कलेक्टर हुए ट्रोल
लेकिन अपने मातहतों पर कलेक्टर साहब का बरसना लोगों को पसंद नहीं आया.कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह का वीडियो सोशल मीडिया पर आने के बाद उन्हें काफी ट्रोल किया गया. लोगों ने कमेंट किया कि गांव-गांव जाकर काम कर रहे टीकाकरण दल में आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और निचले स्तर के कर्मचारी होते हैं. हर दिन इन्हें गांववालों का गुस्सा भी झेलना पड़ता है. कलेक्टर साहब को ऐसे कर्मचारियों की हौसला अफज़ाई करने की जगह फांसी पर लटकाने की बात करना ठीक नहीं है.
अपने कामों से चर्चित रहे हैं ग्वालियर के कलेक्टर
कौशलेन्द्र विक्रम सिंह अपने काम को लेकर अक्सर चर्चा में रहे हैं. पिछले साल एक पटवारी ने जब 7 साल से वेतन न मिलने का दर्द उन्हें सुनाया तो उन्होंने (Gwalior Collector Kaushlendra Vikram Singh) फैसला किया कि जब तक पटवारी को वेतन नहीं मिलता तब तक वो भी वेतन नहीं लेंगे. इतना ही नहीं कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह से ने पटवारी को फौरन रेडक्रॉस से एक लाख रुपए दिलाए,और पटवारी को इतने समय तक वेतन नहीं मिलने में जिन अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही रही उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश भी दिया.
यूपी के हरदोई के रहने वाले कौशलेन्द्र विक्रम सिंह की आईएएस बनने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है. स्कूल में टीचरों की डांट से सबक लेते हुए उन्होंने सिविल सेवा के लिए तैयारी शुरू की और लंबे संघर्ष के बाद परीक्षा पास की और मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्य से जुड़े.