भोपाल। परिवहन मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत (Transport Minister Govind Singh Rajput) ने बताया कि वाहन मालिक पुराने 4 पहिया वाहनों के आवंटित नंबर का उपयोग अपने नए वाहनों के लिए कर सकेंगे (Vehicle owners will be able to use the old allotted number of 4 wheelers). उन्होंने बताया कि इसके लिए वाहन मालिक द्वारा पुराने नंबर के लिए दी गई राशि अथवा न्यूनतम 15 हज़ार रुपये में जो भी अधिक होगा, भुगतान करना होगा.
वी.आई.पी नंबर लेने वाले वाहन मालिकों को फायदा
मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने बताया कि वर्तमान व्यवस्था के अनुसार कंडम अथवा निष्प्रयोजित वाहन के स्क्रेप के साथ ही उसका नंबर भी ब्लाक कर दिया जाता था. इस व्यवस्था में वी.आई.पी नंबर (VIP Number) लेने वाले वाहन मालिक को नया नंबर लेना पड़ता था. राज्य शासन द्वारा की गई नवीन व्यवस्था में अब सीधा लाभ वी.आई.पी नम्बर लेने वाले वाहन मालिकों को मिल सकेगा.
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मंत्री राजपूत ने बताया कि मई 2014 के पूर्व प्रथम आओ, प्रथम पाओ के आधार पर वाहन क्रमांक आवंटित किये जाते थे, जिसमें 01 से 09 नंबर का शुल्क 15 हज़ार, 10 से 100 का 12 हज़ार, विशिष्ट नंबरों के लिए 10 हज़ार एवं शेष नंबरों का शुल्क 2 हज़ार रुपये था. इस अवधि के बाद वी.आई.पी नंबर के लिए ऑनलाइन नीलामी प्रक्रिया प्रारंभ की गई, चूंकि नीलामी प्रक्रिया के द्वारा मूल वाहन स्वामी द्वारा विशिष्ट नंबरों को काफी बड़ी राशि देकर क्रय किया जाता था. ऐसे में अब नई पॉलिसी के तहत उनके या उनके परिवार वाला व्यक्ति उसी श्रेणी का वाहन खरीदने पर पूर्व वाहन के नंबर का उपयोग कर सकेगा.
लाइसेंस के लिए अब ऑनलाइन मेडिकल सर्टिफिकेट
परिवहन मंत्री राजपूत ने बताया कि आमजन को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं प्रदान करने की दृष्टि से ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया को और अधिक सरल किया गया है. उन्होंने बताया कि अब कोई भी आवेदक लर्निंग लाइसेंस, नवीन ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदन, नवीनीकरण अथवा ड्राइविंग लाइसेंस में अन्य श्रेणी के आवेदन के साथ रजिस्टर्ड चिकित्सक द्वारा पोर्टल पर ऑनलाइन फॉर्म 1ए में मेडिकल सर्टिफिकेट जारी कर सकेगे. मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने बताया कि एक अप्रैल 2021 के पूर्व उक्त मेडिकल सर्टिफिकेट मैनुअल तरीके से जारी किए जाने का प्रावधान था. उन्होंने बताया कि मेडिकल काउंसिल में रजिस्टर्ड चिकित्सक पोर्टल पर ऑनलाइन फॉर्म 1ए में मेडिकल सर्टिफिकेट जारी कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें एनआईसी के सारथी पोर्टल पर पंजीयन कराना आवश्यक है.