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शीतकालीन सत्र पर सियासत, नेता प्रतिपक्ष ने कहा-बढ़ाया जाए समय

नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र को बढ़ाए जाने की मांग की है. जिस पर प्रदेश के संसदीय कार्यमंत्री गोविंद सिंह ने पत्र के माध्यम से नेता प्रतिपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि सदन को नेता प्रतिपक्ष के सहयोग से चलाया जाएगा.

सीएम कमलनाथ और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव

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Published : Nov 13, 2019, 7:12 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरु होने वाला है. लेकिन सत्र शुरु होने से पहले ही सियासी दांव पेंच शुरु हो गए हैं. नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने प्रस्तावित शीतकालीन सत्र की अवधि बढ़ाने के लिए सीएम कमलनाथ को पत्र लिखा था. जिस पर जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने नेता प्रतिपक्ष को बीजेपी के 15 साल के शासन में हुए विधानसभा सत्र की कार्रवाई का ब्यौरा भेजा है.

बीजेपी के शासनकाल का लेखा-जोखा


संसदीय कार्यमंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने नेता प्रतिपक्ष को भेजे जवाब में लिखा कि पिछले सत्र में उन्होंने देर रात तक सदन चलाकर लोक महत्व के विषयों पर चर्चा कराई थी. उन्होंने नेता प्रतिपक्ष को आश्वासन दिया है कि आगामी सत्र आपके सहयोग से चलाया जाएगा.


बीजेपी के शासन काल का दिया लेखा जोखा
पत्र में मंत्री गोविंद सिंह ने बीजेपी के 15 साल के शासन में हुए विधानसभा सत्रों की जानकारी देते हुए लिखा कि आपकी सरकार जनहित के मुद्दों पर अधिक से अधिक चर्चा कराए जाने की कभी पक्षधर नहीं रही. उन्होंने बताया कि विधानसभा के विगत तीन सत्रों की बैठकों में देर रात तक सदन चलाकर प्रदेश के जनहित के मुद्दों पर चर्चा कराई गई और सरकारी काम-काज में निपटाया. है. गोविंद सिंह ने पत्र के माध्यम से कहा कि विधानसभा नियम प्रक्रिया 139 के अंतर्गत लोक महत्व के विषय पर चर्चा कराने की मांग की है. मुख्यमंत्री भी लोक महत्व के विषय पर आपके सहयोग से चर्चा कराने पर सहमत हैं और जरूरत होने पर देर रात तक सदन चलाया जाएगा.


बीजेपी के शासनकाल में कम होती थी सत्र की अवधि
संसदीय कार्य मंत्री डॉ गोविंद सिंह ने कहा है कि आपके द्वारा 15 मई विधानसभा के चौथे सत्र की अवधि बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है. लेकिन आपको विदित है कि 12वीं 13वीं और 14वीं विधानसभा में सत्रों की बैठक की संख्या कम करने की परंपरा आपके शासनकाल से शुरू की गई थी. तब मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस विधायक दल सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग करता था. लेकिन सरकारी कामकाज निपटाने के बाद जनहित के मुद्दों पर चर्चा न कर निर्धारित अवधि के पहले ही सत्र समाप्त कर दिया जाता था. बैठकें स्थगित करने की परंपरा और लोक महत्व के विषय एवं पटल पर रखे गए प्रतिवेदन पर चर्चा कराने की परंपरा आपने ही शुरू की.

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