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कैसे होगा महामारी से मुकाबला: स्वास्थ्य मंत्री ने माना मध्यप्रदेश में है नर्सों की कमी

कोरोना अभी गया नहीं है और राज्य सरकार ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर चुकी है. ऐसे में खुद स्वास्थ्य मंत्री और राष्ट्रीय हेल्थ मिशन के अधिकारियों का यह मानना कि प्रदेश में नर्सों की भारी कमी है. राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति खुद-ब-खुद बता देता है.

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स्वास्थ्य मंत्री ने माना मध्यप्रदेश में है नर्सों की कमी

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Published : May 28, 2021, 10:56 PM IST

भोपाल।कोरोना काल ने मध्यप्रदेश सरकार को यह बात जरूर सिखा दी होगी कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की बहुत ज्यादा जरूरत है. कोरोना अभी गया नहीं है और राज्य सरकार ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर चुकी है. ऐसे में खुद स्वास्थ्य मंत्री और राष्ट्रीय हेल्थ मिशन के अधिकारियों का यह मानना कि प्रदेश में नर्सों की भारी कमी है. राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति खुद-ब-खुद बता देता है. ऐसे में मरीजों के उचित इलाज की जवाबदेही और बीमारियों से मुकाबला करने की रणनीति कैसे तय हो पाएगी यह बड़ा सवाल है.

स्वास्थ्य मंत्री ने माना मध्यप्रदेश में है नर्सों की कमी

काफी कम है नर्सों को संख्या

मध्य प्रदेश में मौजूदा समय में 50 हजार से ज्यादा नर्सों की जरूरत है जबकि फिलहाल 40 हजार के आसपास ही नर्सें प्रदेश के अस्पतालों में काम कर रही हैं. इनमें से 12 हजार नर्से संविदा पर भर्ती की गई हैं जबकि 30,000 परमानेंट नर्सें हैं. खुद स्वास्थ्य मंत्री भी मानते हैं कि प्रदेश में नर्सेज की कमी है. इसके चलते कोरोना काल में कई बार मरीजों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा है.

  • मध्यप्रदेश में 13 मेडिकल कॉलेज हैं. इन अस्पतालों में काम करने वाली नर्सेज की संख्या मरीजों के अनुपात में बेहद कम है.
  • एक अनुमान के मुताबिक दो हजार बिस्तर के अस्पताल में आठ हजार नर्सों की जरूरत होती है.
  • प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों में परमानेंट नर्स की मौजूदा संख्या 28 से 30 हजार के बीच है.
  • मौजूदा स्थिति में 50 से 60000 नर्सेज की जरूरत है. ऐसे में सरकार ने 30 हजार पदों नर्सेज की परमानेंट नियुक्ति की है जबकि बचे हुए 15 से 20000 पदों पर संविदा के द्वारा नर्सों को नियुक्ति किए जाने का प्रावधान है.
  • नर्सों की नियुक्ति का जिम्मा एनएचएम (नेशनल हेल्थ मिशन) को दिया गया है.

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नई भर्ती नहीं, पुरानों को सुविधा नहीं?

ईटीवी भारत ने जब 20 साल से बतौर नर्स हॉस्पिट्ल में सेवाएं दे रही नर्सों से बातचीत की तो नई भर्ती न होने के लिए सरकार को ही जिम्मेदार ठहरा रही हैं. नर्सों की शिकायत थी कि सरकार उन्हें कोरोना योद्धा तो बता रही है लेकिन उनकी परेशानियों को लेकर कोई ध्यान नहीं देती है. उन्हें कोरोना काल के दौरान भी आने जाने की परेशानियों और ज्यादा ड्यूटी ऑवर को देखते हुए भी ट्रांसपोर्टेशन की कोई सुविधा नहीं दी गई. नर्सों का कहना था कि इस महामारी के दौर में उनके परिवार और पहचान के कई लोगों ने दम तोड़ दिया लेकिन फिर भी वे अपने छोटे-छोटे बच्चों को छोड़कर ड्यूटी पर आती रहीं. नर्सों का आरोप था कि मप्र में नर्सों को मिलने वाला डीए भी अन्य राज्यों के मुकाबले काफी कम है और पोस्ट भी वही पुरानी ही है. इसके अलावा कोविड 19 से कई नर्सों की मौत भी हो चुकी है और कई संक्रमित हैं बावजूद इसके सरकार उनके इलाज की कोई समुचित व्यवस्था नहीं कर रही है. नर्सों ने ऐसे परिवारों को भी आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग की है.

NHM संचालक ने माना प्रदेश में है नर्सों की कमी
एनएचएम के संचालक पंकज शुक्ला कहते हैं कि मध्यप्रदेश में अभी चार से साढ़े चार हजार नर्सों की कमी है. 12000 नर्सों को संविदा पर नियुक्त किया जा चुका है. शुक्ला ने कहा कि बचे हुए पदों पर संविदा नियुक्ति की प्रक्रिया के तहत आने वाले दिनों में नर्सेज की कमी को जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा. लेकिन मौजूदा दौर में सवाल यह उठता है कि कोरोना और ब्लैक फंगस जैसी महामारियों के दौर में नर्सों की कमी के चलते कैसे मरीजों को इलाज दे पाएगी और कैसे बीमारियों से मुकाबला कर पाएगी.

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